अखण्ड सुहाग .. प्रियतम तेरे कारने सोलह किया शृंगार मैहदी .बिछिया , पायल ' कंगना पहना नवलखा हार ! पहना नवलखा हार नैन काजल कजरारे माथे लगी सिंदूरी बिन्दियाँ होट भये रतनारे ! चाल चले गज गामिनी चुनर लाल सजाये झाला देते कर्ण फूल प्रियतम को पास बुलाये ! पूर्ण रूप उजास सम माथे मांग सिन्दूर साजन को निरखे बिना व्रत ना होवे पूर्ण ! करवा चौथ के दिन करे हर गोरी अरदास चंद्र कला ज्यों ज्यों बढे वैसो , मेरो बढे सुहाग ! मेरो बढे सुहाग सुहागन सदा कहाऊ जी साथ परनिजी बाबुल वाकू सातों जन्म में पाऊ ! अखण्ड सुहागन में रहूं सदा जिये भरतार गौरा माँ से मांग रही अखण्ड सुहाग वरदान ! डा इन्दिरा गुप्ता स्व रचित