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भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार ....

भ्रष्टाचार , भ्रष्ट आचरण
हम ही भय्या फैलाते
दूजा कोई और करे तो
जम कर उसको गरियाते !
नेता हो गये भ्रष्ट कहे
देश की नय्या डूबी ,
क्यो बनाया भ्रष्ट को नेता
वोट देते वक़्त ना सूझी !
अब क्यो चिल्ल पों मचा रहे हो
नाहक हाय हाय चिल्लाते ,
वोट के खातिर नोट लिऐ थे
वो काहे नही बताते !
भ्रष्ट तो हम हैं भ्रष्ट आचरण
हम ही करते जाते ,
पुलिसिया को नोट थमा कर
बिन लाइसेंस कार चलाते !
मन्त्री जी से मिलना हो या
टेंडर पास कराना हो ,
चपरासी की जेब गर्म कर
अपना काम चलाना हो !
दूजौं के दोषारोपण से
भ्रष्टाचार नही मिटता ,
पहले गिरेबां साफ करो
तब आएगी मन मेंं दृढ़ता !
भ्रष्ट कोई और नही हैं
हर समाज का हर जान हैं ,
काम निकल जाये बस अपना
देखो कितना ओछापन हैं !
सुनलो भय्या कान लगाय के
मेरी कड़वी बात ,
भ्रष्टाचार हमी फैलाते
भ्रष्ट हो गये हम सब आप ॥

डॉ इन्दिरा गुप्ता

Comments

  1. बहुत सुन्दर रचना
    सादर

    ReplyDelete
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