वीर बहुटि महारणा प्रताप की बेटी चम्पा ✊ राणा लेकर परिजनो को वन वन भटक रहे थे संधि मंजूर नहीँ मुगलों से वनवास काट रहे थे । जंगल जंगल फिरते थे भूखे प्यासे चिंतित से घास की रोट...
वक़्त का खेल ही तो हैं नाजुक बदन सहेजने की जगह रौंदा गया जीवित पर डाला गया तेजाब क्यों वक़्त का खेल ही तो हैं .... व्यभिचार बढ़ता गया व्याभिचारी बचता रहा मुकदमे तारीखें बदलत...
बिटिया दिवस जितनी संकुचित सोच हैं उतना अधिक दिखावा हैं बिटिया दिवस मनाते हैं हम नित जिसे कोख मेंं मारा हैं । नक्कारखाने मेंं तूती जैसी एक दिवस बिटिया का हैं बाकी साल उसे म...