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Showing posts from March, 2018
रानी तपस्वनी अर्थात ब्रम्ह तेज क्रमशः 13 सैनिक छावनी भक्तों को भेजती विद्रोह फैलाने खातिर मैं "काला निगर" कहते है तुमको तुमको तुच्छ रूप देखते जालिम 14 बहुरुपीये जाकर  छावनी...

मीना जी की स्मृति मैं विशेष

हम तेरे प्यार मैं सारा आलम खो बैठे तुम कहते हो की ऐसे प्यार को भूल जाओ !             💕 चलो दिलदार चलो चाँद  के पार चलो हम भी तैय्यार चलो ओ ओ ओ ओ

रानी तपस्वनी अर्थात ब्रम्ह तेज

रानी तपस्विनी झांसी की रानी लक्ष्मी बाई  की भतीजी थी झाँसी  के ही एक सरदार नारायण राव की पुत्री थी ! बाल्य अवस्था मैं ही विधवा हो गई थी उनका वास्तविक नाम सुनंदा था ! इस विरक्त ...

तन्हाई

दस्तकें आहट से वो कुछ इस कदर झुंझला गया कौन है किसने किसी को मेरा पता बता दिया ! चैन से सोये हुए थे तन्हाई की चादर तान कर बेवक्त सन्नाटे मैं किसने शोर सा बरपा दिया ! वो नहीं उनक...

रार

दूर रहो तनी बात ना करो सखियन  मैं हँसी  कराई जी अपने आप तो करो तमाशों अब नाहक करो चतुराई जी ! तू छलिया चितचोर  बड़ों है छल  करत देत दुहाई जी तनि  दूर खड़े रहो मोहन ना चहिये कोई सफ...

चरमर पत्ते

सूखे सूखे चरमर पत्ते आहट से चर्राते से ! दबे पाँव से  आती यादै फिर भी आस जगाते से ! सोई मुश्किल से खामोशी अचकचा के जाग गई ! सालों लगे सुलाने मैं अब सालों लगे बहलाने मैं ! खामोशी ...

जल ही जीवन है

जल दिवस पर समर्पित

एहसास

दो हाथ सिलते ही रहते घर भर के एहसास सदा कहीं  उधड़ा कहीं  खिसा सा कही सिलाई निकली  जाय । रेशमी ,सूती कभी मखमली धागे एहसास के सब ले आये । एक एक कर बड़े जतन से तुरपन बखिया करती जाय । ...

लेखन

भावो का सम्मोहन हो या भावो का हो उदबोधन दोनों अदभुत रुचिकर हो तो हिय छू  जाता है लेखन । डा इन्दिरा ✍️

दर्द

जख्म देकर पूछते है दर्द की शिद्दत जब तुमने दिया है तो बेहतरीन ही होगा ।

नव वर्ष

नव वर्ष की नव उड़ान पाखी नभ तक उड़ दौड़ा उगते सूरज संग होड़ लगी है नव युग के आव्हान का मौका । दोनों कर्म मर्म योद्धा है केसरिया ध्वज सा फहर रहा सिंदूरी आकाश हो गया मानो कुमकुम बिख...

जज्बात

खामोशी

उम्मीदों के तले सुलगना अब मुझको मंजूर नही

चूड़ी वाले कर मैं अब तलवार उठानी है सिंह नाद कर उठे सिंहनिया वो ललकार लगानी है नारी अब अबला कहलाये ये मुझको मंजूर नही उम्मीदों को राख बनाना अब मुझको मंजूर नही .... अब तक जुर्म ब...

भरी आँखे

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परिण्डे

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फेरा ( परिक्रमा )

उदया चल से अस्ताचल तक स्वर्ण सूर्य करे फेरा गगन । नीला पथ सिंदूरी आचमन करे परिक्रमा सुन चिरई शगुन । चक्र भ्रमण के चले अनवरत अष्ट भाव के रख अश्व संग । रुके न पल भर चले निरंतर ...

लम्हा

लम्हा तड़पा रात भर टूट टूट रह जाये शबनम जैसे पात से प्रातः काल झर जाये  । डा इन्दिरा ✍️

पुराने खत

खुशबू जैसे लोग मिले अफसानों मैं एक पुराना खत जो खुला अनजाने मैं । कतरा कतरा लफ्ज बह रहे थे अंदर स्याही अब तक गीली थी अफसानों में । कोई आहट आज भी दस्तक देती है जब भी फुर्सत होत...

परवाज

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उदास

उ + दास दासत्व भाव जहाँ भी आता उदास भाव छा जाए दास भाव दासत्व की पीड़ा सी दे जाए । पीड़ा सी दे जाए मृतक सम मनवा डोले जीवन -मरण ,यश -अपयश भाव सदा  उदास से रहवे।। विस्मृत सा होकर रहे स्...

उदास

गहन उदासी छलक रही है पसरे से सन्नाटो से कोई आये और निकाल ले बहते मसि के धारो से । पन्ना पन्ना दरक रहा है लफ्ज लफ्ज सिरहन बांधे विस्मयकारी चीख गूँजती खामोश रुके सन्नाटे से । ...