मनन 🙏
स्व ही प्रज्ञा
स्व मर्यादा
स्व बिन जाने
कैसा जीना !
स्व की गर जो
करो अवज्ञा
स्व बिन जीवन
खण्डित कोना !
स्व ईश है
स्व जगदीश है
स्व कर्म धर्म
स्व नश्वर है !
बिन स्व जाने
गति नहीं है
स्व ही शिव है
शक्ति वही है !
स्व बिन मुक्ति
ना स्व बिन युक्ति
आचार विचार
सभी तो स्व है !
स्व तो स्व है
तुझमें विलय है
उसका कर
परिलक्षण बंदे !
स्व को गर तू
जान गया तो
जीवन व्यर्थ
ना जाये बंदे !
स्व को तू
पहचान ले बंदे
स्व ही स्व है
स्व को बस मान ले बंदे !
डा इन्दिरा ✍
बहुत खूबसूरत रचना....बहुत खूब...सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअति आभार
Deleteआत्म ज्ञान के बिना हर ज्ञान व्यर्थ है
ReplyDeleteस्वंय को जान लेना ही परम ज्ञान है
बहुत खूबसूरत अद्भुत काव्य रचना दीदी जी 🙇
सही समझे है आंचल जी
Deleteशुक्रिया
वाह इंदिरा जी
ReplyDeleteअद्भुत अभिव्यक्ति .....
आभार पूजा जी
Deleteवाह आत्म ज्ञान का सुंदर सिद्धांत स्व को जान याने आत्मा के स्वरूप को पहचान आध्यात्मिक सुंदर रचना ।
ReplyDeleteअति आभार मीता
Deleteवाह सखी अद्भुत,
ReplyDeleteस्व में बसता जीवन सारा,
स्व हारा सो जग हारा
👏👏👏
सही कहा सखी मालती जी
Deleteखुद के मरे ही स्वर्ग दिखता है ...आभार