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कदम

कदम 👣

कदमों तले तप्त रेत हो
या बिछे हुए हो अंगारे
या फिर आंधी चढ़ दौड़ी हो
या कोई तूफां झंझा मारे !
गहन श्वास भर द्रढ भाव रख
सब प्रपंच दुनियाँ के रे
दोयम को दोयम ही रखना
भयभीत करन का नाटक रे !
तू तो स्वयं शिखा अग्नि की
लहर सुनामी की सी है
तुझको कोई क्या रोकेगा
तू स्वयं अंश रण चण्डी है !
बूंद मात्र यदि विष घुल जाये
तो अमि भी  विष सा हो जाये
तूतो स्वयं वरदान भागीरथी 
ब्रम्हाण्ड ग्रह सारे  तेरे !
भर ले उष्ण श्वास छाती मैं
विश्वास कदम धरो भारी
अट्टहास कर दिगदिगंत में
लाचार नहीं ना अबला री !
तू शक्ति शिव शंकर की है
तुझ बिन शंकर भी खाली
महाकाली अवतार है तूतो
अखण्ड ताव भरी आली !
कोमल भाव तजो अब बाला
बनना होगा विषधर हाला
कोलाहल अब बहुत हो गया
प्रज्वलित करो  कर्म ज्वाला  !
दिगदिगंत में नाद कर उठो
हुँकार उठो शक्ति पीठा
धक धक धधक उठो अग्नि सम
नादित हो  शक्ति डंका!
भ्रमित भाव सब खण्डित करदो
खण्डित करो प्रपंच सभी
दोयम अबला कह जो हँसते
सबक सिखा उनको नारी !
कदम धरो छाती पर उनके
छाती मंथन सी करदो
भूले हर व्यभिचार भ्रष्ट नर
ऐसा भय मन मैं भर दो !

डा इन्दिरा  ✍

Comments

  1. अद्वितीय रचना ,इंदिरा जी
    नारी नहीं अबला तू सबला है
    शक्ति भी तुझसे ही सशक्त है
    तेज भी तुझसे ही मिला है
    स्वशक्ति का बोध कराती अतुल्य काव्य

    ReplyDelete
  2. धधकती ज्वाला सी आप की रचना
    बहुत अच्छा लिखा आपने
    मृत मन में चेतना भर दे ऐसी रचना
    नमन आप की लेखनी को
    वक़्त की नजाकत देखते हुए
    कलम का आग उगलना जरुरी है

    ReplyDelete
  3. अति आभार ..सखी नीतू जी
    काव्य तपत महसूस की
    उद्द्वीग्न हुए जज्बात
    लेखन भाव सफल हुए
    बहुत बहुत धन्यवाद

    ReplyDelete
  4. दोयम अबला कह जो हँसते
    सबक सिखा उनको नारी !
    कदम धरो छाती पर उनके
    छाती मंथन सी करदो
    भूले हर व्यभिचार भ्रष्ट नर
    ऐसा भय मन मैं भर दो !
    लाजवाब अभिव्यक्ति.....
    सुन्दर ,प्रेरक....
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. अतुल्य आभार सुधा जी आपकी सराहना लेखन उत्साह जगा गई !

      Delete
  5. शब्द नही मिलरहे आदरणीया, सशक्त रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार दीपाली जी आपका पोस्ट कर आना ही लेखन को सार्थक कर गया .

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  6. सशक्त रचना प्रिय इंदिरा जी |नारी में नव चेतना का संचार करते शब्द बहुत अनमोल हैं | आज ऐसी ही प्रखर नारी शक्ति की आवश्यकता है | सस्नेह --

    ReplyDelete
    Replies
    1. 🙏शुक्रिया रेनू जी सही कहा क्रांति बीज बोना ही होगा तभी नारी हिय हुलसित होगा ..आभार

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  7. शक्ति भी तुझसे ही सशक्त है
    तेज भी तुझसे ही मिला है
    स्वशक्ति का बोध कराती ........सशक्त रचना

    ReplyDelete
  8. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २३ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  9. nice lines
    publish your lines in book form with Online Book Publisher India

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