वीर बहुटी
क्रमशः
राज माता जीजा बाई !
16
जीजा पति के साथ
शिव नेरी किले मैं रहती थी
उनकी जागीर स्वयं संभालती
महिलाओं का आदर करती थी !
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धार्मिक सहिष्णुता और न्याय
के साथ देश प्रेम अति भारी था
हिंदुत्व साम्राज्य बने इस खातिर
अपना पूरा जीवन झोंक दिया !
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जीजा का जीवन सहज नहीं था
कदम कदम पर बाधा थी
पहले पति का निधन हुआ
फिर पुत्र सम्भा का कत्ल हुआ भारी !
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एक साथ दो दो अपघातै
जीजा फिर भी शांत रही
धैर्य नहीं खोया तनिक भी
वीर क्षत्राणी डरी नहीं !
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अपनी अपार बुद्धि चातुर्य से
अद्भुत इतिहास रचाया था
हिंदुत्व का झँडा गाड दिया
शिवा जैसा पुत्र बनाया था !
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उनके निर्णय पत्थर पर
लकीर से खिंच जाते थे
इतिहास साक्षी आज भी है
दुश्मन थर थर थर्राते थे !
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17 वर्ष की किशोर अवस्था
शिवा अभी बालक ही थे
शासक बनने का हर गुण
बाल शिवा मैं भर दिये थे !
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5 जून 1674 को आखिर
स्वर्णिम सा वो दिन आया
जिसके खातिर जीजा ने
पुत्र शिवा को था पाया !
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76 वर्षीय जीजा बाई
सजल नयन भर तकती थी
छाती गर्व से फूल रही थी
पुत्र गर्विता माता लगती थी !
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पुत्र शिवा का राज तिलक कर
साम्राज्य मराठा का उदय किया
पहला हिन्दू राष्ट्र बनाया
जो अंकुर जीजा मन उदित हुआ !
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वीर शिवा सिंहासन बैठे
मराठा राज्य जयकारा था
धन धन हो जीजा बाई सा
जिसका ये स्वप्न सलोना था !
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जीजा का जर्जर शरीर
खुशी के कारण कम्पित था
दिवा स्वप्न साकार हुआ था
हिय आज बहुत ही हर्षित था !
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कुमकुम तिलक लगा पुत्र के
छाती से उसे लगाती थी
छत्रपति शिवा को अपलक देख
मन ही मन ईश मनाती थी !
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कितना अद्भुत द्रश्य हुआ होगा
पुत्र ने जननी का मान बढाया था
पुलकित गात और स्नेह मगन
माता ने हृदय लगाया था !
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वीर शिवा सुनते गुनते
माता ने जो भी ज्ञान दिया
आत्मसात करा हर कहना
माता को सम्मान दिया !
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राज्याभिषेक के 12 दिन ही बीते थे
हर्ष फिजा मैं छाया था
दुँदभि अभी बजती थी ढम ढम
जयकारा अभी तो गूंजा था !
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होनी की काली छाया छाई
जीजा स्वर्ग सिधार गई
मानो अंतिम इच्छा पूर्ण हुई हो
उसकी ही राह निहार रही !
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12जून 1674 को जीजा ने
धरा से महा प्रयाण किया
हिन्दू राज स्थापन खातिर
मानो उसने जन्म लिया !
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खमोश शिवा तकते थे माँ को
विश्वास ना उनको होता था
कल तक जो खुशहाल मात थी
उसेअभी ही चिर निद्रा मैं सोना था !
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माँ क्या सच्ची दोस्त गुरु थी
हर कदम साथ में रहती थी
जो स्वप्न देखा दिखलाया
मानो उसी के खातिर जीवित थी !
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दुख विशेष साम्राज्य फैल गया
जैसे ये समाचार मिला
राजमाता नहीं रही अब
मराठा राज्य शोक संतप्त हुआ !
36
राजगढ़ जिले के पचाड गाँव
जीजा का समाधी स्थल है
पावन स्थान मराठों का है
नत मस्तक होता हर जन है !
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सिखा गई जीना हम सब को
वीर जियाले कहीं मरते है
जीजा बाई जीवित हर माँ में
जिनके पुत्र शिवा से बनते है !
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नारी की क्षमता को जानो
स्वयं नारी जगत नियंता है
नव सृजन करती है जब वो
स्वयं नरनारायण अभियंता है !
डा इन्दिरा ✍
जीजा बाई जीवित हर माँ में
ReplyDeleteजिनके पुत्र शिवा से बनते है ! --
अद्भुत भावांजली माँ जीजाबाई को !!!!!!वीर बेटों की सच्ची दिग्दर्शक मा ओं का आदर्श जीजाबाई ही हो सकती हैं | | भावपूर्ण काव्य बहना | आपकी लेखनी को नमन |इसका प्रवाह अमर हो -जो वीरांगनाओं के यशोगान रचती है |
अतुल्य आभार रेनू जी ह्रदय गद गद हो गया आपकी अनुपम प्रतिक्रिया से ! लेखनी कृतार्थ हुई और मन उत्साहित ! जब भी इन वीरांगनाओं के बारे मैं लिखती हूँ तो एक डर रहता है मैं इनके व्यक्तित्व के अनुरूप लेखन मैं न्याय कर पा रही हूँ या नहीं !
Deleteआप जैसे सुपाठ्को की प्रतिक्रिया मुझे सुकून दे जाती है धन्यवाद ! रेनू जी
प्रिय इंदिरा जी कृपया अपने ब्लॉग को किसी दूसरी थीम जैसे वॉटरमार्क या यात्रा इत्यादि में परिवर्तित करें और नए विकल्प लगायें ताकि पाठक आपका अनुसरण कर सकें |उससे ब्लॉग और ज्यादा सार्थक और मनमोहक हो जाएगा |बस मात्र मेरी सलाह है आशा है अन्यथा ना लेगीं | सस्नेह --
ReplyDeleteआपके नेह और अपनत्व के लिये मन से आभारी हूँ रेनू जी ! नाम परिवर्तन के अलावा जो अपने लिखा नये विकल्प उसका तात्पर्य समझ नहीं आया ! विस्तार से बताये !
Deleteअन्यथा की क्या बात कहीं स्वागत है सदा नये सुझावों का रेनू जी ! 🙏
यूं तो मैं वीरांगनाओं के लेखन के साथ अन्य काव्य भी ब्लॉग पर send करती हूँ !
प्रिय इंदिरा आप जहाँ से ब्लॉग की पोस्ट प्रकाशित करती है वही थीम के रूप में आपको ब्लॉग के कई प्रारूप का विकल्प मिलेगा वहां सरल , चित्र , यात्रा , वॉटरमार्क आदि विकल्प होते हैं || आप जिस नये रूप में अपना ब्लॉग चाहती हैं try कर सकती हैं | फिर leyout और सेटिंग के जरिये नये विल्कप सामने दिखा सकती हैं | इससे पाठकों को बहुत सरलता से आपकी रचनाएँ बाहर ही मिल जायेगी | जैसे अभी मुझे दो बार आर्चिव में जाकर कल वाली रचना देखनी पड़ी ताकि मैं आपका प्रति उत्तर देख सकूं | पर सरल होने से पोस्ट के साथ ही दिख जाता है newer post या ओल्ड पोस्ट | आप बेहतरीन ढंग से कर सकेंगी ऐसा मेरा विश्वास है | मैंने भी सबसे सीख पूछकर ही अपने ब्लॉग पर विकल्प लगाये हैं | मेरा मतलब नाम परिवर्तन से नहीं था थीम यानि प्रारूप बदलने से था | ऐसे ये भी सुंदर सादा सा बहुत प्यारा है पर विकल्प कम हैं |
Deleteवाह मीता अद्भुत शैली मे माता जीजा बाई का यशगान, अनुसरणीय जीवन गाथा और शिवाजी जैसे संस्कारी सूरवीर देश भक्त पुत्र की मां का यथोचित सम्मान करती रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर काव्य।
🙏 शुक्रिया मीता आपकी सदा सकरात्मक प्रतिक्रिया मुझे प्रोत्साहित करती रहती है !
ReplyDeleteआपका सानिध्य मुझे अति प्रिय नमन
वाह!!! बहुत खूब ... नमन आप की लेखनी को।
ReplyDeleteअतुल्य आभार अमित जी ऐसी अमूल्य शुभ कामनायें सदा लेखन को प्रवाह देती है ! नमन कविवर
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