सुत जागो ✊
रक्त मैं उबाल हो
उच्च माँ का भाल हो
शंख नाद बज रहा
उठो माँ के लाल हो !
जागो सुत अर्जुन भीम नकुल
जागो हे धीर वीर कर्ण
जागो सुखदेव भगत जागो
घर मैं घुस आया सियारो का झुंड !
शिवा प्रताप तुम भी दौड़ो
अरि अश्वों के मुख को मोड़ों
थर थर कांप रही धरती
आओ नये ख्म्ब गाडो !
कुम्भकर्ण सी निद्रा त्यागो
सिंह की दहाड़ हुंकार करो
गन्डिव धनुष तुम टन्कारो
माता की सुत की लाज रखो !
जागो मेरे रज कण जागो
धवल दुग्ध बूंदें जागो
तुम्हें कसम माँ की लोरी की
श्वासों मैं प्लावित स्पंदन जागो !
डा इन्दिरा ✍
माता को समर्पित आप की यह रचना बहुत ही सुन्दर है
ReplyDeleteशब्द और भाव दोनों अप्रतिम
वाह अप्रतिम चना मीता।
ReplyDeleteहूंकार!!! जन्म लेते ही वीर माताऐं बच्चों के लहु के कण कण मे ओज भर देती है उन्हें वीरता के गीत सुनाती हैं. . .
बालो पांखा बायर आयो
माता बैण सुनावे यूं
म्हारी कुख स्यूं जायो रे बाला
मै तणे सख री घूंटी दूं. . .