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वीर बहुटी ✊

कित्तूर की रानी चेन्नम्मा ( स्वतंत्रता संग्राम की प्रथम नायिका )
क्रमशः

11 दत्तक पुत्र वारिस नहीं
स्व पुत्र ही वांछित है
वर्ना राज कम्पनी राज मैं
विलय होना जरूरी है !
12
इस तरह राज हड़पने की नीती
मक्कार डलहौजी बना रहा
रानी ने इस गलत  निति की
बार बार विरोध किया !
13
पर अंग्रेजों की गिद्ध द्रष्टि तो
कित्तूर खजाने पर थी भारी
15 लाख से अधिक की राशि
उस समय खजाने की आँकी !
14
लार टपक गई अंग्रेजों की
इतना खजाना नजर आया
गंदी नीति का जाल फैलाया
रानी को उसमें फंसाया !
15
दत्तक को वारिस नहीं माने
सुन रानी बहुत भड़की थी
संघर्ष करूंगी स्वतंत्र रहूंगी
पर ये नीति नहीं मानी थी
16
रानी ने सेना का गठन किया
की सेना की तैय्यारी
जानती थी दुश्मन भारी है
तनिक ना घबराई रानी !
17
सन 1824 मैं दोनों
सेनाओं का टकराव हुआ
घमासान सा युद्ध हुआ था
धरती अम्बर भी कांपा !
18
रानी ने फैसला किया था
हार नहीं मानूंगी
स्वतंत्र रहूंगी जीवन भर
या वीर गति पाऊँगी !
19
रण कौशल देख रानी का
अंग्रेज बेचारे दंग हुए
पीछे भागी अंग्रेजी सेना
जब रानी की तलवार चले !
20
बीस हजार सैनिक और चारसौ  बंदुकै
लिये अंग्रेज लड़ते थे
पर रानी के रण  कौशल आगे
सब पानी भरते थे !
21
होश उड़ गये अंग्रेजों के
देखा रानी तलवार चलाती थी
जिस तरफ भी निकले सिंहनी
अरि लाशें सी बीछ जाती थी !
22
उल्टे पाँव भागे सब सैनिक
चेहरे पर उड़ी हवाई
रानी बन कर रण चण्डी
रण क्षेत्र उतर आई !
23
ब्रिटिश कलेक्टर और एजेंट को
मौत के घाट उतारा था
सर वाल्टर और स्टिवैन्स को
बंदी बनाकर डाला  था !
24
पर समझौते का आग्रह कर
कम्पनी ने दोनों को छुड़वाया
अपनी दोगली नीति का
नया नमूना दिखलाया !
25
दूसरे मोर्चे युद्ध जारी रखा
इधर किया समझौता
ऐसे  लम्बी चली लड़ाई
परिणाम भयंकर होना था !
26
धीरे धीरे रसद खतम
पीने का पानी नहीं बचा
इतनी लम्बी चलेगी लड़ाई
रानी को अंदाज ना था !
27
और अंत मैं हारी रानी
अंग्रेजों ने कैद किया
वेल्होगल के किले के अंदर
रानी को नजर बंद किया !
28
21फरवरी 1829 मैं
रानी ने महा प्रयाण किया
सिंहनी सा ही जीवन जिया
सिंहनी की तरह प्रस्थान किया !
29
22 से 24 अक्टूबर को
कित्तूर मैं उत्सव होता है
याद करें सब चेन्नम्मा को
उनकी शान  मैं मेला लगता है !
30
कित्तूर महल बना स्मारक
रानी की अमर कहानी का
दिल्ली के पार्लियामेंट मैं रखा 
पुतला एक स्वाभिमानी  का !

31
रानी का योगदान कहता है
जीवन मैं विचलित ना हो
अपनी शर्तों पर जियो
उसके लिये कटिबद्ध रहो !
32
धन धन थी चेन्नम्मा रानी
धन धन उसका कार्य महान
अंग्रेजों के छक्के छुडाये
स्थापित की नारी पहचान ! !

डा इन्दिरा  ✍




Comments

  1. नमन आप की लेखनी को
    एक सार्थक रचना और अप्रतिम भाव।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी सराहना सदा उत्साह वर्धक

      Delete
  2. आती आभार अमित जी आपकी प्रतिक्रिया कुछ संशय पैदा कर गई मन मैं मेरे लेखन मैं कोई त्रुटि हो गई क्या तो कृपया अवगत करवाये !
    नमन

    ReplyDelete
  3. वाह दीदी बेमिसाल
    नमन है एसी वीरांगनाओं को
    और आपकी कलम को जो वीरता को दर्शाने हेतु सज्ज है
    गर्व है भारत की वीर पुत्रियों पर
    भारत के गौरवशाली इतिहास पर 🙇

    ReplyDelete

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