वीरांगना नर्तकी अजीजन बाई !
"वरांगना नहीं वीरांगना "
तबला बोले बोले मृदंग
बोले सितार के तार
महफिल मैं कितने लोग मरे
मिला ना उनका शुमार
रंग गई रक्त से रंग भूमि
हाथों में राज फिरंगी के
इसलिये भैरवी गाते है
स्वर आज अजीजन बाई के !
🙏🙏
अजीजन बाई एक नर्तकी गा बजा कर सब का मन बहलाने वाली उसका स्वतंत्रता संग्राम से क्या लेना देना .......पर यही तासीर है भारत देश की इस मिट्टी की देश भक्ति का एहसास जाती धर्म सब से परे होता है
अजीजन के मन मैं देश प्रेम कब से ही उबाल ले रहा था बस मौके का इंतजार था मिला ! नर्तकी ने घुंघरू उतार फैंके ! रसिकों की महफिलें सजाने वाली नर्तकी अजीजन बाई क्रन्तिकारीयों के साथ उठने
बैठने लगी !
दरसल अजीजन एक कुलीन क्षत्रिय खानदान की कन्या थी .एक दिन अपनी सहेली के साथ मेला देखने गई ! वही नशे मैं धुत्त कुछ अंग्रेजों ने उन्हें अगवा कर बैल गाड़ी मैं बैठा कर नदी पार अपने डेरे में ले जा रहे थे .! मौका पा दोनों नदी मैं कूद गई सहेली की तो मृत्य हो गई पर अजीजन को एक मुसलमाँ पहलवान ने बचा लिया ! और 500 र्रूपये में कानपुर की एक मशहूर तवायफ को बेच दिया ! इस तरह उस दिन से कुलीन घर में जन्मी एक क्षत्राणी बाला का अंत और एक वेश्या अजीजन बाई का जन्म हुआ .!
समय तीव्र गति से आगे बढ़ता गया अजीजन बला की खूबसूरती के साथ निखर कर आई ! उनकी नर्तन और गायन की ख्याति दूर दूर तक फैलने लगी ! कई रईस आते थे उनके कोठे पर ! लेकिन रईस नवाब शमशुद्दीन अजीजन से मोहब्बत करने लगे ! उंहोंने अजीजन से सगाई कर ली ! बड़ी धूमधाम से मिस्सी की रस्म मनाई गई ! पूरे कानपुर को आमंत्रित किया गया था ! नवाब शमशुद्दीन .नाना साहब .तात्या टोपे .क्रांति कारी थे और
बैठकें करते रहते थे एक बार सब के सामने नवाब साहब ने अजीजन की देश भक्ति और गुणों की चर्चा की सभी प्रभावित हुए और उसे क्रांति दल मैं लेने का निर्णय हो गया ! अजीजन को मीटिंग मैं बुलाया जाने लगा वो भी सहर्ष तय्यार हो गई ! नाना साहब को पता लगा कैसे एक क्षत्राणी कुल की कन्या तवायफ बना दी गई तो उंहोंने उससे राखी बंधवा कर उसे अपनी बहन बना लिया ! उसे राखी बंधवाने की भेंट तलवार दी !
अजीजन यूं भी अंग्रेजों से अपनी जिंदगी बर्बाद करने का बदला लेना चाहती थी ! उचित अवसर भी मिल गया !
अजीजन को काम दिया गया वो अपने रूप. लावण्य और नर्तन किसी से भी अंग्रेजौ की सेना मैं से भारतीय सैनिकों को अपनी तरफ करें और नाना साहब की सेना मैं लेकर आये ! युद्ध मैं घायलों की सेवा करें जो युद्द विमुख हो उनका मन परिवर्तन करें ! अंग्रेजी सेना की गुप्त जानकारी एकत्र करें ! भारतीय मूल के लोगों मैं देश भक्ति की भावना जाग्रत करें !
अजीजन ने सहर्ष इस चुनौती को स्वीकारा ! नाना साहब .तात्या टोपे .अजीमुल्ला खां .टीका सिंह और वीर दामोदर सावरकर अजीजन से मिल कर बहुत प्रभावित हुए !
नाना साहब का आशीर्वाद और नवाब शमशुद्दीन की मदद से अजीजन ने 25 नर्तकियों का एक मस्तानी नाम की टोली स्थापित की
इस टोली को घुड़सवारी .तलवार बाजी .तैरना .और अन्य लड़ाकू तरीकों से अवगत कराया और प्रशिक्षण दिया गया ! इतिहास गवाह है इस टोली ने बड़े बड़े कार्य किये !
इस टोली की बहादुरी से ही अंग्रेजों के बहुत से सिपाही नाना साहब की फौज मैं आ मिले ! इस मस्तानी टोली ने अंग्रेजों के हजारों सैनिकों को मौत के घाट उतारा दिया !
बीवी घर यानी लाल बंगला मैं रहने वाले सारे अंग्रेजों का कत्ल कर दिया !
महान क्रांतिकारी दामोदर सावरकर ने अजीजन बाई के व्यक्तित्व और कार्य की तारीफ करते हुए लिये लिखा है ...........
अजीजन एक नर्तकी थी ! पर सिपाहियों से उसे बेहद स्नेह था ! अजीजन का प्यार साधारण बाजार मैं धन के लिये नहीं बिकता था उसका प्यार पुरुस्कार स्वरूप उसे दिया जाता था जो देश से प्रेम करता था ! अजीजन के सुंदर मुख की मुस्कुराहट भरी चितवन युद्ध रत सिपाहियों को प्रेरणा से भर देती थी ! और मुख पर भृकुटि का तनाव युद्द से भाग कर आये सिपाही को पुनः रण क्षेत्र की ओर भेज देता था !
युद्द के दौरान अजीजन ने सिद्द कर दिया था वो एक वारंगना नहीं वीरांगना है !
इन क्रांतिकारियों के दम पर एक बार तो नाना साहब ने अंग्रेजों को कानपुर से बाहर खदेड़ कर नाना शाश्वत को स्वतंत्र राजा घोषित कर पेशवा बना दिया था !
पर अंग्रेजों की भारी सेना ने हमला कर नाना साहब को पराजित कर कानपुर पर पुनः कब्जा कर लिया ! नाना और तात्या को तो निकलने का मौका मिल गया पर दुर्भाग्य इस लड़ाई मैं अजीजन बाई पकड़ी गई !
इतिहास कारों के अनुसार उसे बंदी बना कर जनरल हैव्लाक के सामने पेश किया गया उसका रूप लावण्य देख वो चकित रह गया ! उसने कहाँ यदि तुम और क्रांतिकारियों का पता बता दो और हमसे क्षमा मांग लो तो पहले की तरह महफिल सजाओ और मौज से रहो वर्ना कड़ी सजा के लिये तय्यार हो जाओ !
पर मूर्ख हैव्लाक बाहरी सौंदर्य तो देख पाया देश भक्ति से लहराता दिल नहीं !
अजीजन भड़क उठी दहाड़ कर बोली हमारे देश में रहते हो और हम पर ही जुल्म करते हो माफी तुम्हें मांगनी चाहिये इस अमानवीय कृत्य के लिये ! मैं तो क्या कोई भारतीय तुम्हें कभी माफ नहीं करेगा ऐसी जहालत के लिये !
अजीजन बाई अच्छे से जानती थी उसके इस तरह उल्टे जवाब की उसे जबरदस्त सजा भुगतनी पड़ेगी .पर जियाले कब मुश्किलों से डरते है जो देश के खातिर निकलते है वो सर पर कफन बांधते है !
एक साधारण नर्तकी से ऐसे उत्तर की आशा जनरल को नहीं थी वो गुस्से से आग बबूला हो उठा और गोलियों से भून दो का हुक्म सुना दिया .पल की देर भी नहीं हुई अजीजन का शरीऱ गोलियों से छलनी कर दिया गया .!
मृत शरीर भी अपनी लावण्यता बिखेर रहा था !
ऐसा कहते है .....संकट के समय दिव्य आत्माओं का जन्म होता है ! जो जन संधारण मैं जन्म ले उन्हें सत्कार्य के लिये प्रेरणा देती है !
इस तरह सन 1857 में मशहूर तवायफ बला की खूबसूरत .जहीन .अजीजन बाई ने पहली जंगे आजादी मैं हिस्सा लेकर अपने वतन के लिये जान कुर्बान कर अपने ऊपर लगे तवायफ के दाग को अपनी शहादत के लहू से धो डाला !
निश्चय ही वीरांगना अजीजन बाई की शहादत स्वतंत्र भारत के लिये कभी ना भूलने वाली शहादत की घटनाओं मैं से एक है !
"पुजारी है वही जो राष्ट्र का गुणगान करते है "
जला कर देह औरों के लिये दिनमान करते है
वहाँ पर टेकने माथा स्वयं भगवान आते है .
जहाँ पर वीर माता के लिये बलिदान करते है !
वीरांगना अजीजन बाई को शत शत नमन 🙏
1
संकट काल की घड़ी तहत ही
दिव्य आत्मा धरा उतरती है
असाधारण सत्कर्म के लिये
आत्मायें रूप बदलती है !
2
कानपुर की मशहूर तवायफ
नाम अजीजन बाई था
काम नाचना धन कमाना
रईसों का मन बहलाना था !
3
सन 1857 की पहली जंगे आजादी
उसमें उसनें भाग लिया
अपनी जान की कुर्बानी दी
तवायफ का दाग मिटा दिया !
4
दरसल अजीजन कुलीन कन्या थी
क्षत्रिय वंश मैं जनमी थी
मेले मैं से अपहरण हुआ था
फिरंगीयों के चंगुल फंस गई थी !
5
मौका पाकर नदी मैं कुदी
फिरंगी डेरे नहीं पहुंच पाई
दुर्भाग्य अजीजन का साथ
मुस्लिम दलाल के हाथ लगी !
6
महज 500 रुपये के खातिर
अजीजन को कोठे पर बेचा
कानपुर की मशहूर गणिका ने
रूप देख कर खरीद लिया !
7
एक क्षत्राणी बाला का नाम
तभी अजीजन रखा गया
बला की खूबसूरती पहले थी
अब नृत्य .गायन मैं निपुर्ण किया !
8
अति सूरूपा और नर्तकी
कोठे का फिर भाव बढ़ा
बड़े बड़े नवाब आते थे
नवाब शम शुद्दीन को भी नशा चढ़ा !
9
करी सगाई अजीजन से
मिस्सी की रस्म निभाई
पूरा कानपुर आमंत्रित था
रही निकाह की रस्म बकाई !
10
अचानक नवाब को एक दिन
कुछ अजब भाव ही सूझा
अपने क्रांति दल से
अजीजन की करदी चर्चा !
11
नाना .तात्या .अजीजुद्दीन
क्रांतिकारी थे भारी
अजीजन को साथ मिला ले
ऐसी कुछ मंशा जागी !
12
अजीजन चाहे गणिका थी
मन देश भक्ति से भरा हुआ
नवाब की बातैं सुन सुन के
दबा भाव जाग्रत सा हुआ !
13
सब की रजामंदी होने से
क्रांति सभा मैं बुलवाया
काम दिया अंगेजों को पटाना
सैनिकों को अपनी और मिलाना !
14
भरतीय लोगों के मन मैं
देश भक्ति भरनी थी
रूप लावण्य से रिझा रिझा कर
उनके मन भाव बदलती थी !
15
अजीजन ने सहर्ष स्वीकारा
इस जोखिम भरी चुनौती को
25 नर्तकियों की टोली बनाई
प्रशिक्षित किया हर एक को !
16
तलवार .घुड्सवारु .बंदूक चलाना
और तैरना दरिया मैं
युद्ध कला परिपूर्ण प्रशिक्षण
कूट कूट भरा हर ललना मैं !
17
बहुत प्रभवित हुए थे नाना
तात्या टोपे और टीका सिंह
क्षत्राणी थी बनी नर्तकी
बदलना चाहती थी जीवन !
डा इन्दिरा ✍
क्रमशः
एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ । बहुत बढ़िया लिखा। लाजवाब!!!
ReplyDelete🙏आभार अजीजन बाई एक ऐसा अनूठा व्यक्तित्व जिसके बारे मैं जितना लिखो कम ही लगता ही !
ReplyDeleteश्रद्धा से मन नत होता है !
बहुत सुंदर प्रस्तुति मीता शानदार
ReplyDeleteआभार
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति दीदी जी
ReplyDeleteसच उस वक़्त तो क्या बच्चे क्या बड़े हर कोई अपने मन में अंग्रेजो के प्रति खटास लिए बैठा था पर उनके खातमे का संकल्प लेकर जीने वाले कुछ ही वीर और वीरांगना थे जिन्होंने बाकी को भी इतनी हिम्मत दी की वो भी इन धूर्त फ़िरंगीयों के प्रति अपनी खटास को उनके खातमे के संकल्प में बदलकर एक सेना के रूप में खड़े हो गये और ऐसे ना जाने कितने वीर वीरांगना है हमारे इतिहास में जिन्हें आप जैसे उम्दा कलमकार पन्नों में प्रस्तुत करते हैं और हम जैसे लोगो के जीवन में भी वीर रस भरते हैं
साभार सादर नमन वीरांगना अजीजन बाई और आपकी कलम को
शीहन बाई के व्यक्तित्व को बाख़ूबी लिखा है ... नमन है इतिहास के इन पात्रों का ...
ReplyDeleteअजीजन बाई ..।
Deleteनमन मातृभूमि की ऐसी वीरांगनाओं को 🙏🙏🙏वाह आदरणीया ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रतीक्षा रहेगी ..