नारी शक्ति को समर्पित ..🙏✊
मन मेरा क्रंदन करता है
नारी के उत्पीड़न से
नारी को भोग्या ही समझा
ना वाकिफ उसके कौशल से !
अब भी सँभल जाओ मति मंदो
अब अच्छे आसार नहीं
तार तार सा आँचल एक दिन
गले फंद ना .बन जाये कहीं !
श्वास गले में अटक जायेगा
लिया ना छोड़ा जायेगा
नारी से शापित समाज फिर
कभी नहीं बस पायेगा !
हनन कर रहे स्वयं तुम्हारा
और गर्त में समा रहे
अपने ही हाथों से नाहक
दावानल तुम जगा रहे !
कैसा विचित्र समय आया है
आँखें रहते अंधी हुए
स्व जाये से अपमानित होते
अभिशापित है अपने पन से !
उठो नारी भोग्या से योग्या
बन कर दिखलाना होगा
ममत्व नहीं अब ज्वाल बनो तुम
मन विच्छेदन करना होगा !
स्वयं बनो अब अंगारे सी
लपटों से जज्बात हो
जलते प्रवाल से भाव प्रज्वल्लीत
डर ना , ना मन कोई संताप हो !
तू जगत नियंता की जननी है
तू नर - नारायण रूप धरे
तू ही आँधी तू सोनामी
आ अब दुर्गा का रूप धरें!
डा इन्दिरा ✍
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