पिता ...🌳
पिता 🌲
वृक्ष की घनी छाँव सा
दृढ़ता का आभास !
पिता 🌲
अटल विश्वास सरीखा
मन का शांत पड़ाव !
पिता 🌲
सम्पूर्ण काव्य रस अलंकार का
सरस सृजन सा भाव !
पिता 🌲
बलिष्ट बांह का
वलय भाव अहसास !
पिता 🌲
सम्पूर्ण सुरीली सरगम का
संगीत विधा आभास !
पिता 🌲
मीठा ख्याल सम्पूर्ण नेह सा
प्रवीण हास परिहास !
पिता 🌲
कर्तव्य भाव कर्मठता का
केवल पूर्ण स्वरूप !
पिता 🌲
तृप्त प्यास की उच्व श्वास सा
परिपूर्ण और सम्पूर्ण !
पिता 🌲
मेले में झूले की पैंग सा
मस्ती भरा उछाव !
पिता 🌲
स्कूल का बस्ता
पूरी एक किताब !
पिता 🌲
सघन अम्बर सा
सावन की फुहार !
पिता 🌲
माँ के ललाट की
लाल गोल सी आभ !
पिता 🌲
हँसता घर गाता सा मन
लगता पवन झ्कौरा !
पिता 🌲
खुली बाहें अवलम्बन
मन का अवलम्ब सलोना !
पिता 🌲
सुस्वादु व्यंजन सा
तृप्त भाव आचमन !
पिता 🌲
संग में सब का नाता
कमल नाल सा कोरा !
डा इन्दिरा ✍
बाबूजी ( पिता .गुरु . और परम सखा ) को समर्पित काव्याँजलि ..💐🙏
वाह सखी आपकी इस रचना पर टिप्पणी करने में स्वयं को असमर्थ पा रही हूँ, निःशब्द हूँ, बस यही कहूँगी कि पिता के संपूर्ण व्यक्तित्व को साकार सजीव कर दिया आपने। नमन आपकी लेखनी को🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteस्नेहिल आभार सखी मालती जी मेरे बाबूजी मेरे सर्वस्व है .उनके बारे में .जितना लिखूं कम
Deleteही लगता है ! नमन 🙏
पापा... बिन आपके हमारा नही कोई अस्तित्व
ReplyDeleteसत्य शकुंतला जी
Deleteअद्भुत शब्द संयोजन और सम्पूर्ण भावों का समावेश एक साथ,प्रशंसा के शब्द कम पड़ रहे हैं,
ReplyDeleteअद्भुत पंक्तियाँ..
माँ के ललाट की
लाल गोल सी आभ!
सुस्वाद व्यनजं सा
तृप्त भाव आचमन !
यह काव्य आपकी लेखनी की समृद्धत नही है,अपितु यह आपके हृदय में मरण तक जीवित रहने वाला प्रेम दुलार प्रेरणा बल आपका विश्वास है बाबूजी के लिए ... एकदम शुद्ध पवित्र और निर्मल पावन प्रेम की असीम अनुभूति है....
आपके शब्द नही उनका स्नेह है उपरोक्त लिखा सब... सौभग्यशाली हैं आप जैसी दुलारी बेटी ...जीवित रखिये इस प्रेम को सदा ...