वीर बहुटी सिंध के राजा दाहिर की पत्नियाँ और पुत्रियाँ
सिंध के राजा दाहिर की बेटियों और पत्नियों ने भी देश रक्षा हित अपनी जान देदी पर शत्रु के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया !
सिंध के सभी राजाओं की कहानियां बहुत मार्मिक और दुखद ही रही है ! राजा दाहिर अकेले ही अरब और ईरान के दरिंदों से लड़ते रहे ! उनका साथ किसी ने नहीं दिया ! उल्टा उनसे गद्दारी की !
दाहिर सिंध के राजा चय के पुत्र थे वे कश्मीरी ब्राम्हण थे ! उनके राजा के कोई पुत्र नहीं था अतः उनके राजा ने चय को ही अपना उतराधिकारी बना अपनी पुत्री से उसका विवाह किया ! उनसे ही दाहिर पैदा हुए जो सन 679 में राजा बने !
सिंध का समुद्री मार्ग पूरी विश्व के व्यापार के लिये खुला था ! सभी अरब .इराक ईरान से आने वाले जहाज देवल बंदरगाह होते हुए अन्य देशों को जाते थे ! एक बार जहाज मैं सवार अरब व्यापारियों के सुरक्षा कर्मियों ने ने बेवजह देवल शहर पर हमला कर बच्चों और औरतों को उठा कर लेगये ! देवल के सूबेदार को सूचना मिली उसनै अपने दस्ते सहित जहाज पर आक्रमण किया और अपहत किये गये औरतों और बच्चों को छुड़वा लिया ! अरबी जान बचा कर अपने जहाज को लेकर भाग गये !
उन दिनों ईराक मैं उनके धर्म गुरु खलीफा का शासन था ! ह्जाज उनका मंत्री था ! खलीफा के पूर्वजों ने भी सिंध फतह करने के कई बार मंसूबे बनाये पर कामयाब नहीं हो पाये ! जब अरब व्यापरियों ने खलीफा से जाकर सिंध में हुई घटना का जिक्र किया तो क्या था उसे सिंध पर हमला करने का बहाना मिल गया ! उसे ऐसे ही किसी अवसर की तलाश थी अब्दुल्ला नामक व्यक्ति के नेतृत्व में सैनिकों का एक दल सिंध विजय करने के लिये भेजा गया ! युद्ध मैं सेनापति अब्दुल्ला खेत रहे और अरबी युद्ध हार गये ! खलीफा हार से तिलमिला उठा !
दस हजार सैनिकों का एक दल ऊंट घोड़ों के साथ खलीफा ने फिर भेजा सन 638 से सन 711 तक 74 वर्ष काल में 9 ख्लीफाओ ने 15 बार सिंध पर आक्रमण किया !
ये 15 वां आक्रमण मोहम्मद वीं क़ासिम ने किया था !
राजा दाहिर ने सिंधी शूरवीरों को सेना में भर्ती होने और अपना तन .मन .धन देश हित अर्पण करने का आव्हान किया ! नवयुवक सेना मैं भर्ती होने लगे ! युद्ध में सिंध वीरों ने डट कर मुकाबला किया ! पर सूर्यास्त हो गया सो युद्ध विराम करना पड़ा वरना अरबी सेना हार के कगार तक जा पहुंची थी !
युद्ध विराम मैं सारी सिंध सेना शिविरो मैं विश्राम कर रही थी !
इधर ज्ञानबुद्ध और मोक्ष वासन नाम के दो सिंध सैनिकों ने विश्वास घात किया और अरब सैनिको के साथ मिल कर सिंध सेना के शिविर पर हमला बोल दिया भारी मार काट मचा दी ! महराज वीर गति को प्राप्त हुए !
अरबी सेना शहर की ओर बढ़ रही है ये समचार लाडी रानी को प्राप्त हुए !
अन्य रानियों और वीर महिलाओं के साथ रानी ने अपने शहर मैं अरबी सेना का स्वागत तीरों और भालों से किया ! वीरांगनाये शहीद होती गई और वीर गति को प्राप्त होती गई ! आखिर कुछ गिनती की ललनाएं विशाल अरबी सेना के समक्ष कब तक टिक पाती ...जो बची उन्होनें सतीत्व की रक्षा के लिये जौहर कर लिया !
बच गई दोनौ राजकुमारीया जो घायलों की सेवा मैं लगी थी तभी दुश्मनों ने पहुंच कर उन्हें कैद कर लिया ! क़ासिम ने जीत की खुशी के फलस्वरूप दोनों
राजकुमारियों को खलीफा के पास भेज दिया ! खलीफा दोनों राजकुमारियों का रूप देख मोहित हो गया ! दोनों को अपने जनान खाने में शामिल कर लिया ! पर राजकुमारियों ने अपनी चतुराई से मीर क़ासिम से बदला लेने के लिये मीर क़ासिम की झूटी शिकायत की और सजा दिलवाई ! पर उनका झूठ जल्दी ही खुल गया !
खलीफा ने दोनों को मौत की सजा सुनाई पलक झपकते ही दोनों राजकुमारियों ने अपने बालों से खंजर निकाला और अपनी छाती मैं पेबस्ट कर शहीद हो गई !
इस तरह पूरा राजपरिवार देश हित बलिदान दे अमर हो गया !
नमन 🙏
1
सिंध देश के हर राजा की
कथा बड़ी दुखदाई है
सदा ही भुगती परेशानियाँ
पर देश भक्ति निभाई है !
2
सिंध का समुद्री मार्ग सदा
व्यापार हित खुला रहता था
अरबी .इराकी .ईरानी व्यापारीयों का
सदा आना जाना रहता था !
3
पर कुछ अरब व्यापारियों ने
शहर मैं जा उत्पात किया
लोगों को मारा पीटा
लड़कियों को जबरन उठा लिया !
4
सूबेदार को पता लगा
ले दस्ते को चढ़ आये
औरतों को छुड़वाया
सारे अरबी मार भगाये !
5
उस काल धर्म गुरु खलीफा
जो पहले ही सिंध से चिढ़ता था
व्यापारियों की इस घटना से
उसे लड़ने का मौका मिला !
6
अब्दुला नामक व्यक्ति को
युद्ध का नेत्रत्व दिया
जाओ सिंध को विजय करो
बदले में स्वर्ण , लालच भी दिया !
7
पर अब्दुल्ला खेत रहा
युद्ध में अरबी हार गये
तिलमिला रह गया खलीफा
बार बार हार वो कैसे सहे !
8
कहते है सन 638 से 711 तक
15 बार खलीफा लड़ने आये
सिंध खड़ा रहा सीना ताने
बाल ना बांका कर पाये !
9
अब स्वयं मीर क़ासिम निकला
दस हजार सैनिक लेकर
सिंध जियाले कब घबराते
एक एक ने दस मारे जम कर !
10
शाम हुई युद्ध बन्द था
सैनिक विश्राम कर रहे थे
पर मीर क़ासिम के गुप्त चर
कोई षडयंत्र रच रहे थे !
11
इतिहास गवाह है बिन घाती
ये अरबी ना जीत पाते हमको
दो अपघाती ज्ञान बुद्ध और मोक्ष वासन
खा गया कोई लालच इनको !
12
सोते शेरों पर हमला किया
मार काट मचा डाला
शिविर के अंदर युद्ध किया
राजा को कत्ल ही कर डाला !
13
अरबी सेना शहर ओर बढ़ रही
लाडी रानी को संदेश मिला
डरी नहीं कोई भी ललना
तीर .भाला सब सँभाल लिया !
14
अरबी सेना को घायल करने
जम जम कर तीर चलाती थी
अस्मिता की रक्षा हेतु
कुछ जौहर करती जाती थी !
15
आखिर ललनाये खेत हुई
तब अरबी महलों मैं आये
बची हुई दोनों राजकुमारियों को
महल में अकेला ही पाये !
16
सूरज देवी और परमार कुँवारी
दोनों वीर बहुटी थी
ज्ञान बुद्धि और चतुराई
कूट कूट कर भरी हुई !
17
दोनों को कैद किया क़ासिम ने
खलीफा को उपहार स्वरूप भेजा
मंत्र मुग्ध हो गया खलीफा
पहली बार ऐसा हुस्न देखा !
18
चाल चली दोनों कुंवारी ने
क़ासिम के खिलाफ कुछ बतलाया
सजा हुई क़ासिम को मौत की
पर भेद तुरंत ही खुल आया !
19
बीच दरबार बुला खलीफा
कुँवारियों को निवस्त्र किया
सजाये मौत सुनाई जालिम
अपनी औकात दिखा गया !
20
सजा सुनी जब मौत की
दोनों हुई दबंग
खूंखरी निकाली बालों से
दिल मैं करली पैबस्त !
21
दो सुन्दर तन गिर पड़े वहाँ
धरती रक्त तलाब हुई
सर चकराया खलीफा का
कुँवारिया भी दे गई मात नई !
22
इस तरह पूरा राज वंश
देश हित बलिदान हुआ
दो कोमल सी बालाओं ने
दुश्मन के घर में मात दिया !
23
ये माटी है ऐसे वीरों की
जो हँसते हँसते मर जाते
माथे शिकन नहीं होती
जीवन सार्थक कर जाते !
डा .इन्दिरा .✍
अदम्य साहस से सजी कथा ,विश्वास घात के कारण कितने राजाओं का विदेशी लूटेरोंं के हाथो पतन हुवा और वीरांगनाओं ने अंत तक कौशल दिखाया।
ReplyDeleteनमन मीता मन उत्साह से भर गया
Deleteये माटी है ऐसे वीरों की
ReplyDeleteजो हँसते हँसते मर जाते
माथे शिकन नहीं होती
जीवन सार्थक कर जाते ! बारम्बार प्रणाम वीरांगनाओं को
सत्य वचन अनुराधा जी ....
Deleteआपकी रचना मेरे लेखन भाव को और सार्थकता दे गई !
नमन 🙏
बहुत शानदार प्रस्तुती और रचना ...शत शत नमन जिन्होने इस मिट्टी को वीर गाथाओं से गौरव प्रदान किया ...सार्थक रचना
ReplyDeleteस्नेहिल आभार नीतू जी सदा की तरह आपकी प्रेम पगी सराहना
Deleteनमन
किन शब्दो से तुम्हे नवाजू
ReplyDeleteवीर बहुटी तुम खुद हो
वीरो की लिखती गाथाये
जौहर की यादे तुम हो
कलम तेग है मसी लहू है
भूला इतिहास बताती हो
नमन तुम्हे है इन्दिरा बिटिया
तुम वीरो की गाथा गाती हो
नमन वीर रस के ज्ञाता
Deleteलेखनी तेरी अमर रहे
हौसला भर रहे हो मुझ मैं
आशीष सदा ही बना रहे !
पीड़ा यही सालती है
जो बना गये वीर गाथा
हम उनको भुला बैठे है
जीवन जिनकी वजह मिला !
छोटा सा प्रयास भर करती
लिखती उनकी वीर गाथा
भूल गये है हम उनको
सोच सर शरम से झुक जाता !
वीरांगनाये सोचती होगी
क्या हम ही उनके वंशज है
लाज खो गई आंखों की
लिये नफरतों का खंजर है !
कुछ सोचो समझो याद करो
उन पावन वीर बहुटियों को
पल भर की ना देर लगाई
देश हित में प्राण तजने को ! सिखा गई स्वभिमान से
जीवन कैसे है जीते है
कर्मों की रेख अमिट होती
मर कर अमर हो जाते है !
प्रणाम 🙏
अति सुंदर बिटिया मेरी टिप्पणी पर आपका जवाब बहुत ही सुंदर है
Deleteआपकी सराहना सर माथे ..पर
ReplyDeleteभाई अमित जी ...मन प्रफुल्लित हुआ आपकी प्रतिक्रिया पढ़ कर ...👍👍👍👍👍
इतिहास इनको भुला चुका
अफसोस यही तो होता है
माटी का हर कण कण
जब की एक पुरोधा है !
हम कभी उरिण नहीं होंगे
इनके अद्भुत कारनामों से
श्वास श्वास दबी है इनके
बलिदानों के एहसानौ से !
नमन