Skip to main content

मेघ मल्हार विरहणी

मेघ मल्हार विरहणी .....

पावस ऋतु पिय घर को आये
भरे नयन पर लब मुस्काये
मेघ मल्हार सी भई विरहणी
जल तरंग तन  लरजत जाये !
चटख चटख नव वृंद खिल्रे है
हरित पात सो हिय हुलसाये
चपल दामिनी से पग घूघर
छनक छनक पायल छनकाये !
स्वाति बूँद अमृत हिय डोले
भई चातकी पिऊ पिऊ बोले
बदरी सो मन उमड़त जाये
प्रेम अमि जल घट छलकाये !
आये कन्त मति भ्रमित है गई
दामिनी  ज्यू तन आज छू गई
अपलक नयन नयन में प्रीतम
मेघ मल्हार सी आज बरस  गई !

डा इन्दिरा  ✍




Comments

  1. वाह दीदी जी बहुत सुंदर मनमोहक रचना
    विरह बेला के बाद मिलन मल्हार सी लगी वाह वाह 👌

    तज विरह मिलन को आए साजन
    मन हर्षीत ज़ैसे आए सावन
    सब ओर प्रेम के बदरा छाए
    मन भीगा प्रीतम में डूबा जाए
    पडे बौछार हिय मल्हारी गाए

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्नेहिल आभार आँचल जी ...
      आपके नेह मेघ से भरी प्रतिक्रिया आज मुझे भी भिगो गई !
      नैन भये पावस ऋतु जैसे
      हरित पात हिय छू गई !

      Delete
  2. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना आदरणीया आपकी रचना शक्ति को नमन
    आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा

    ReplyDelete
    Replies
    1. 🙏🙏 तौबा तौबा फर्श से अर्श पर ना चढाइये अभिलाषा जी ..अभी तो कलम पकड़ना सीख रहे है !
      आपको लेखन पसंद आया लेखनी को प्रवाह मिल गया आभार आपका !

      Delete
  3. वाह सुंदर विरह श्रृंगार रचना विरहन के हृदय के उद्गारों का बखूबी चित्रण करती अप्रतिम रचना।
    पिव आवन की आस मे विरहन सोया भाग जगावे
    चढ़ अटरिया पायल झनकावे दे दे तान मल्हारी गावे
    घिर घिर आवे काली घटाऐं पिव आवन को संदेशो लावे
    तन मे जागे ज्यों अनंग हिव हेत सागर लहरावे ।

    ReplyDelete
  4. स्नेहिल आभार भाई अमित जी ...🙏
    फर्श से अर्श तक ले जाती आपकी नेहील प्रतिक्रिया मेरे लखन भाव को सतत प्रवाह दे गई ! आप जैसे सुपाठ्को सुलेखकौ द्वारा की गई सराहना ....लेखन को सार्थकता प्रदान करती है ....अति आभार bro 🙏

    ReplyDelete
  5. विरह में तपी और पिय की आस में निमग्न विरहणी के अंतस की पीड़ा को अत्यंत प्रभावी शब्द दिए आपने इंदिरा बहन | बेहद मधुर सरस शब्दावली ने काव्य को मधुरतम बना दिया | और चित्रों ने तो रचना की शोभा में चार चाँद लगा दिए | सस्नेह --

    ReplyDelete
  6. वाह!! प्रिय इन्द्रा जी बहुत सुंदर ..।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वीरांगना सूजा कँवर राजपुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई

वीर बहुटी वीरांगना सूजा कँवर राज पुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई ..✊ सन 1857 ----1902  काल जीवन पथ था सूजा कँवर  राज पुरोहित का ! मारवाड़ की ऐसी वीरांगना जिसने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्र...

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे सम्वत 1363(सन 1311) मंगल वार  वैशाख सुदी 5 को दहिया हीरा दे का पति जालौर दुर्ग के गुप्त भेद अल्लाउद्दीन खिलजी को बताने के पारितोषिक  स्वरूप मिले ...

वीरांगना रानी द्रौपदी

वीरांगना रानी द्रौपदी धार क्षेत्र क्राँति की सूत्रधार .! रानी द्रौपदी निसंदेह ही एक प्रसिद्ध वीरांगना हुई है जिनके बारे मैं लोगों को बहुत कम जानकारी है ! छोटी से रियासत की ...