किस्मत / तदबीर ..
मन्नत का धागा बांधों
या अरमानों की अर्जी
देने वाला तभी देता
जब होती उसकी मर्जी !
कोई इसको किस्मत कहता
कोई कहता भाग्य
मिलना होगा तभी मिलेगा
चाहे जितना भाग !
तकदीर काम करती है हर पल
तदबीर भी साथ निभाये
दोनों जब मिल जाये
एक एक ग्यारह हो जाये !
क्या होगा , होगा या ना होगा
छोड़ो सारा प्रलाप
कमर कसो और बढ़ चलो
करो नहीं संताप !
नदी किनारे कब मिले
मुक्ता मणि जनाब
गहरे पानी पैठ कर
मिलती मोती की आभ !
डा इन्दिरा .✍
जाने कौन जनम की करनी
ReplyDeleteकौन जनम में भोगे
जनम जनम जो खुशियाँ पाएं
वो खुशकिस्मत होंगे
बहुत सुन्दर रचना सखी
किस्मत के खेल किस्मत ही जाने
हम तो बस इस मन की मानें
अति सुन्दर प्रतिक्रिया सखी नीतू जी ...🙏
Deleteछोड़ो सारा प्रलाप
ReplyDeleteकमर कसो और बढ़ चलो
करो नहीं संताप !
नदी किनारे कब मिले
मुक्ता मणि जनाब
गहरे पानी पैठ कर
मिलती मोती की आभ ! बेहतरीन रचना इंदिरा जी 👌
स्नेहिल आभार अनुराधा जी
Deleteआभार भाई ...सहजता से भरी प्रतिक्रिया
ReplyDeleteसूंदर रचना इंदिरा जी शुभकामनाएं.. सत्य को दर्शाती पंक्तियाँ
ReplyDeleteआभार सुप्रिया जी
Deleteवाह बहुत सुन्दर मीता भाग्य बहुत कुछ है पर भागो नही भाग्य को बदलो.
ReplyDeleteतदबीर से बिगडी तकदीर भी बनती है तूं दाव तो उठा फूटी किस्मत भी संवरती है ।
सार्थक चिंतन देती रचना।
सटीक काव्य भाव की व्याख्या करती प्रतिक्रिया ...
Deleteवाह इंदिरा जी, अप्रतिम सृजन👏👏👏👏👏👏
ReplyDeleteस्नेहिल आभार प्रिय मालती जी
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ३० जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत अच्छे दोहे हैं सभी ...
ReplyDeleteसटीक धारदार ...