जागो भारत भारती ✊
ध ध धधक उठो
भ भ भभक उठो
द द दहक उठो
प्र प्र प्रवाल हो
उठो माँ पुकारती
जागो भारत भारती .....
समूल नष्ट भ्रष्ट हो
झूट कपट कष्ट हो
द्वार द्वार गली गली
अब ना अत्याचार हो
सभ्यता पुकारती
जागो भारत भारती ......
पाप जल मग्न हो
कष्ट भस्मीभूत हो
कपट का हनन करो
अब ना भ्रष्टचार हो
धीर वीर ना रुको
जागो भारत भारती ....
गर्जना विस्तार हो
गुंजित चहुँओर हो
जले नहीं कोई चमन
गली गली रहे अमन
हर हृदय ज्वलंत हो
जागो भारत भारती ........
पुरुषार्थ है पुकारता
भविष्य तुझे ताकता
दसों दिशा दिगंत भी
तुझे ही निहारता
कर्मणा पुकारती
जागो भारत भारती .....
विषय व्यापी आर्य तुम
सिंहों की संतान तुम
माँ चण्डी के जाये हो
कर्म विहीन क्यों सोये हो
अंत हो अत्याचार का
होते हाहा कार का
देखो माँ चीत्कारती
जागो भारत भारती ......
नर पिशाच नर मुंड चढाओ
माँ ख्प्पर अरी रक्त भराओ
जर जर होते अंग वस्त्र को
पीताम्बर सा भव्य बनाओ !
माँ देखो तुम्हें निहारती
जागो भारत भारती .......
डा इन्दिरा .✍
राजस्थान
स्व रचित
वाह सखी बहुत खूब लिखा शब्दों से निकलती ज्वाला
ReplyDeleteमृत तन में जोश जगा दे ऐसी ज्वलंत रचना
नमन आप की लेखनी को
स्नेहिल आभार आपका 🙏
Deleteवाह बेहद खूबसूरत रचना जागो भारत भारती सच में जोश जगाती रचना 👌👌
ReplyDeleteआपने लेखन को सराहा ..लेखनी धन्य हुई
Deleteसोई आग को जगाना जरुरी है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
समर्थन का आभार
Deleteबहुत सुंदर बहुत सुंदर! !
ReplyDeleteओज से भरी कर्तव्य और कर्म पथ को प्रेरित करती शानदार रचना।
शुक्रिया मीता आपकी प्रतिक्रिया मेरा उत्साह
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