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क्षणिकाएँ

क्षणिकाएँ ...
        ..
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खामोशी में गूंजते
लिखे हुए जज्बात
पन्ने पन्ने घूमते
जुगनू से सम्वाद !

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सूखे फूल खुली डायरी
जले शमा जब  सारी रात
सोई यादै जग जाती है
कौन सुलाये  उनको जाय !

🌺
मसि  सुखी अल्फाज मौन है
शमा से पिघले जज्बात
बात अधूरी रात अधूरी
चाँद अधूरा निकला आज !

🌺
खामोशी का ये आलम है
खामोशी से लब सिले हुए
खामोशी के हर एक पल में
लो बातें होती सारी रात !

डा इन्दिरा .✍

Comments

  1. बेहद खूबसूरत

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  2. बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं

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  3. वाह क्या कहने बेहद उम्दा मीता।

    यादों के सिलसिले
    यूंही रुकते चलते रहे
    फूल गुलाबों के
    पंखुरियों मे बदरते रहे।

    ReplyDelete
  4. वाहहह... बेहद उम्दा भावपूर्ण क्षणिकायें हैं👌👌👌👌

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  5. सुंदर रचना 👌👌👌

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