वृद्धावस्था ..✌
समर्थ हो असमर्थ नहीं हो
क्या हुआ जो उम्र बढी
जरा झांक कर अंदर देखो
दृढ़ता अब तक छलक रही !
में अशक्त हूँ क्यों कहना
क्यों असमर्थ हूँ सोच रहे
क्यों सहारा मांग रहे हो
स्वयं विशाल वट वृक्ष भये !
वृद्धावस्था है तजुर्बा
एक अटल विश्वास खरा
में अशक्त हूँ कमजोर भाव है
इससे परहेज रखो सदा !
अशक्त भाव तला सा व्यंजन
सदा अपच का काम करें
दृढ़ता को शिथिल कर देवे
व्यर्थ ही मन संताप भरे !
में समर्थ हूँ भाव यही बस
तन , मन , हिय में प्लावित हो
साठ का बंदा चालिस हो जाये
पक्की बात समझ लीजो !
डा .इन्दिरा .✍
6 .8. 2018
स्व रचित
बेहतरीन रचना
ReplyDelete🙏आभार
Deleteबहुत खूब 👌
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteलाजवाब रचना
ReplyDeleteशुक्रिया शकुंतला जी
DeleteWridhawastha jiwan ki eek awstha hae . Hme ise sahaz bhaw me lena chahiye . Jo nwojwaan hae , kya wo kbhi vridh nhi honge ? Ek din sabko is awastha se guzarna hae . To phir ham htash kyu hwo ???
ReplyDeletetru ...सटीक और सत्य ...सही काव्य का भाव पकड़ा आपने ...धन्यवाद 🙏
Deleteप्रिय इंदिरा जी -- सच कहूं तो चित्र और शब्दों में से न्याय नहीं कर पायी कि चित्र बढ़िया है या रचना | दोनों एक दुसरे के पूरक बन रचना को पूर्णता प्रदान कर रहे हैं | चित्र से मुझे भी अपने गाँव के बाबा लोग याद हो आये जो इसी तरह उत्साही और सकारात्मक ऊर्जा से भरे हर पल मुस्कुराते दीखते थे |आपने बहुत ही अच्छा लिखा | अशक्त भाव को तला व्यंजन बता अपनी चिकित्सीय सलाह भी दे डाली | सार्थक भावों से भरी रचना के लिए आपको मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार हो | सस्नेह ---
ReplyDelete🙏अति आभार रेनू जी आपकी सहज मन भावन प्रतिक्रिया मन को उत्साहित कर गई ..
Deleteचिकित्सक हनी के नाते साधारण जन जीवन से आमना सामना होता रहता है मुझे यटार्थ .कर्मठ और उत्साही भाव अधिक सुहाता है निराशा हम dr के जीवन मैं होती ही नहीं हम आखरी पल तक प्रयत्न रत रहते है ! वही भाव काव्य में परिलक्षित हो जाता है ! रही बात चित्र कीतो चित्र देख रचना करना ये मेरा मन भावन शगल है !
आपके स्नेह के लिये आभार 🙏