इबादत ..
देग चढ़ाई संत ने
कांकर पाथर डाल
और मसाला डाल कर
दीनी आग लगाय
दीनी आग लगाय
लोग सब देखन लागे
आज फकीर के मन में
भाव ये कैसे जागे !
पकी देग आग से उतरी
लोग अचम्भौ खाय
बिरयानी से भरी देग थी
पुरो लंगर खाय !
दूर फकीरा लिये चिमटा
अलख लगातौ जाय
करो इबादत सच्चे मन से
ईश्वार होय सहाय !
डा इन्दिरा .✍
स्व रचित
बदल दे गाँव की किस्मत तू फकीर रहनुमा बनकर -
ReplyDeleteसूना है तेरी हर दुआ - खुदा के दर तक जाती है !!!!
प्रिय इंदिरा जी फकीरों के ऐसे चमत्कार के किस्से कोई अचम्भे की बात नहीं उनको इबादत का गुरुर ये सब करवाता है तो भगवान भी उनकी लाज रखने में देर कहाँ लगाता है ?????????????
बहुत मर्मस्पर्शी प्रसंग आपकी सुघढ़ लेखनी से | बधाई और आभार |
रेनू जी बात में एक नुक्ता जरा खटक गया "गुरूर "
Deleteप्रबल प्रेम के पाले पड कर
प्रभु को नियम बदलते देखा
खुद का मान भले तल जाय
भक्त का मान ना टलते देखा !
सखी इबादत का पर्याय अखण्ड विश्वास होता है !
नेह के लिये आभार
जी इंदिरा जी सही लिखा आपने | मैंने भी लिख तो दिया पर मेरा भी मन संतुष्ट नहीं था | असल में मेरा तात्पर्य ईश्वर की कृपा से उपजे ' ''गर्वित '' गुरुर से था - अभिमानी गुरुर से नहीं | शायद उस समय इससे बेहतर शब्द ना खोज पाई | आपने अच्छा ध्यान दिलाया | सस्नेह आभार |
Deleteविश्वास और इबादत जीवन का आधार
ReplyDeleteदोनों जब हों पास तो जीवन कर दें पार
बहुत सुन्दर रचना सखी बहुत सार्थक 👌👌👌
स्नेहिल आभार
Deleteवाह बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteकरो इबादत सच्चे मन से
ईश्वार होय सहाय !
आभार
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
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गुरुवार 20 सितम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1161 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
अतुल्य आभार रवींद्र जी
Deleteदिल के सुंदर एहसास
ReplyDeleteहमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।
देग चढ़ाई संत ने
ReplyDeleteकांकर पाथर डाल
और मसाला डाल कर
दीनी आग लगाय...सुन्दर
वाह्हह... बहुत सुंदर प्रिय इंदिरा जी👌👌
ReplyDeleteइबादत को गर ज़िंदगी का आधार बना लो तो समझो जग सरिता में प्रभु को पतवार बना लो।