चयन
खोल रहा जो दर स्कूल का
या दर जेल का बन्द करे
कौन प्रिय कौन श्रेष्ठ है
आओ उसका चयन करें !
चुनाव श्रेष्ठ का सरल नहीं है
प्रिय भी है अनमोल सही
प्रेम प्रलोभन कह ठुकराना
संकीर्ण विचार और कुछ भी नहीं !
दोनों भिन्न पर प्रबल प्रलोभन
दोनों उदभव दोनों उदबोधन
सभी बंधे है इसमें कस कर
पर विरोध करते है जम कर !
प्रेम छोड श्रेष्ठ को धाये
पुनि पलट कर वापस आये
यही प्रक्रिया जीवन भर चलती
प्रिय मिले ना श्रेष्ठ को पाये !
डा इन्दिरा ..✍
स्व रचित
प्रेम प्रलोभन कह ठुकराना
ReplyDeleteसंकीर्ण विचार और कुछ भी नहीं !
प्रेम छोड श्रेष्ठ को धाये
पुनि पलट कर वापस आये ....
बहुत ही सुंदर । प्रेम की श्रेष्ठता को स्वीकार करना ही जीवन है।
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना आदरणीया दी
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteवाह सखी
ReplyDeleteबहुत सही कहा 👌बहुत ही सुन्दर रचना
आभार
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteआभार
Deleteवाह अनुठी रचना मीता बहुत सुंदर।
ReplyDeleteस्नेहिल आभार
Deleteप्रेम छोड श्रेष्ठ को धाये
ReplyDeleteपुनि पलट कर वापस आये
यही प्रक्रिया जीवन भर चलती
प्रिय मिले ना श्रेष्ठ को पाये !
बहुत खूबसूरत चयन....
वाह!!!
वाह बहना -- सही लिखा आपने | जो सही निर्णय ना ले उसके साथ ये होना तय है -
ReplyDeleteप्रेम छोड श्रेष्ठ को धाये
पुनि पलट कर वापस आये
यही प्रक्रिया जीवन भर चलती
प्रिय मिले ना श्रेष्ठ को पाये !!!!!!!
क्योकि कबीर जी ने कहा है -
प्रेम ना बाडी उपजे-- प्रेम ना हट बिकाय -
राज प्रजा जेंहि रुचे - शीश देहि लिए जाय !!!!!!!! सस्नेह
बहुत शानदार रचना
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