Skip to main content

आधी दुनियाँ

आधी दुनियाँ ...

आधी दुनियाँ
कहलाने वाली
छद्म भाव से छली गई !
भावुकता का
दोहन करके
कोमल हिय में सैध  करी !
नेह बना
पाँव की बेडी
हाथ रिश्तो से बंधे हुए !
नयन सदा
भीगे ही रहते
घर आंगन बस याद रहे !

डा इन्दिरा गु्प्ता ✍

Comments

  1. मर्मस्पर्शी रचना

    ReplyDelete
  2. बहुत ही ह्दयस्पर्शी.. महोदया !👌👌👌

    ReplyDelete
  3. सच्च में बहुत बढ़िया है। चंद पंक्तियों में ही आपने आधी आबादी के भाव को बांध दिया। इसी विषय पर आज मैंने 'साहित्य आजतक' में चर्चा देखा।

    ReplyDelete
  4. बहुत खूब गागर में सागर व्यथित नारी का गहन चित्रण।
    अप्रतिम रचना मीता ।

    ReplyDelete
  5. वाह !!! बहुत खूब

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वीरांगना सूजा कँवर राजपुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई

वीर बहुटी वीरांगना सूजा कँवर राज पुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई ..✊ सन 1857 ----1902  काल जीवन पथ था सूजा कँवर  राज पुरोहित का ! मारवाड़ की ऐसी वीरांगना जिसने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्र...

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे सम्वत 1363(सन 1311) मंगल वार  वैशाख सुदी 5 को दहिया हीरा दे का पति जालौर दुर्ग के गुप्त भेद अल्लाउद्दीन खिलजी को बताने के पारितोषिक  स्वरूप मिले ...

वीरांगना रानी द्रौपदी

वीरांगना रानी द्रौपदी धार क्षेत्र क्राँति की सूत्रधार .! रानी द्रौपदी निसंदेह ही एक प्रसिद्ध वीरांगना हुई है जिनके बारे मैं लोगों को बहुत कम जानकारी है ! छोटी से रियासत की ...