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हसरत

हसरत ...

सुरमई सी शाम हो गई
खामोशी भी है पसरी
सन्नाटे को चीर के चीखें
ऐसी हसरत होती है !

सहमी सी खमोश फिजा
जाने किसकी राह तके
कोई उठ कर चला गया
या आने की बाट तके !

मन बहुत अशांत सा रहता
आने वाला तूफान  है क्या
बदल रहा आसमां देखो
कहता मानो अनकही व्यथा !

सुना पन पसरा सन्नाटा
खामोशी चीत्कार करे
जाने किसकी राह तक रही
जाने किसका इंतजार रहे !

डा इन्दिरा गुप्ता ✍

Comments

  1. व्यथा कथा सी अन कही व्यथा

    ReplyDelete
  2. सुरमई सी शाम हो गई.....
    बहुत सुंदर...
    वाह!!!

    ReplyDelete

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