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दिल

दिल

दिल आज बेकरार लगता है
तेरी धड़कन का तलब गार लगता है !

टूटे ही नहीं अब तलक रोये भी बहुत
जाने क्यूँ इश्क गुनहगार लगता है !

तेरी तलाश मैं हम खुद को खो बैठे
जिंदगी का सफर बेकार सा अब लगता है !

आसार नहीं दिख रहे बरसात के बादलों
बारिश का कतरा गिरिफ्तार कहीं लगता है !

दिल चीर कर दिखाये उनको क्या प्यार अपना
प्यार पर उनको एतबार नहीं लगता है !

डा इन्दिरा गुप्ता ✍

Comments

  1. वाह मीता उम्दा गमगीन गजल ।

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  2. अतुल्य आभार आपकी सराहना उत्साह वर्धन कर गई ....🙏🙏🙏

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