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तेरा शहर

तेरा शहर ....

रूठने मनाने की
हद से
बाहर
हो गये
अब तो ,
ताबीज मन्नत
और तिजारत
सब बेवफा
हो गये
अब तो ,
ये बेरुखी
ये तिश्नगी
ये बेचारगी
अब और
नही ,
तू नही
तेरा शहर
नही
तेरी
कूचाये खाक
अब कुछ
भी
नही ॥

डॉ इन्दिरा गुप्ता

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