अब अपनी बारी ...
नमन तुम्हे ओ वीर सपूतों
चरण नमन उस जननी को
जन्मा पुत्र सिह जियाला
धन्य कर गया धरती को !
माँ , बहन , बेटी और पत्नी
देश हिताय सब तज डाला
दूध मुंहे का मुख ना देखा
सब तज कर पी मृत्यु हाला !
रिश्ते कई शहीद कर गया
हृदय भरा हैं अश्को से
बाहर नही निकल पाते वो
कसमसा रहे सूखे लब पे !
उन्ही अश्को की तुम्हे कसम हैं
व्यर्थ ना उनको जाने देना
बूँद बूँद अपने बहते हैं
दुश्मन के लाखों बहा देना !
भोर और क्या साँझ सभी
अरि की धुँधली कर डालो
छाती फाड़ कर रक्त बहा दो
पापी की रूह कंपा डालो !
अब कदम उठाने से पहले
बार बार फिर कर सोचे
सोता सिह उठाने से
उड़ते हैं हाथो से तोते !
कसम तुम्हे हैं उस दुग्ध की
जो रग रग मेंं प्लावित हैं
उष्ण ज्वाल सा उसे तपा दो
जल जाये छूने भर से !
बातें -बातें सिर्फ ना बातें
कुछ करो कुछ कर जाओ
वो तो कर के चले गये
अब अपनी बारी आओ !
डॉ इन्दिरा गुप्ता
स्व रचित
नमन है देश के वीर सैनिकों को जो बलिदान देने में नहीं चूकते ...
ReplyDeleteसलाम है उन्हें ...
🇮🇳🙏✊
ReplyDeleteमै आपकी कविता को पढकर बहुत खुश नसीब हूँ कि मुझे लोगो का बहुत प्यार मिला मै आपका हमेशा आभारी रहुंगा धन्यवाद
ReplyDelete6367915335
महेंद्र ज़ी आप सैनिक है क्या ? ? ? ?
Deleteयदि हाँ तो नमन आपको 🙏
अतिऊत्तम मेडम, बहुत अच्छा लिखा है। जय भारत।
ReplyDeleteलाजवाब लेखन, देश के वीर सपूतों को सादर प्रणाम !
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण कविता ... नमन है मेरे देश के सपूतों को ।🙏🙏
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