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पलाश

पलाश ....

लो पलाश सा लाल हो गया
माँ का जाया पूत
शत विक्षत होकर घर लौटा
माँ का पलाश सा पुत!

सुरभित पवन कर गया
वो पलाश का फूल
टूटा बिखरा लाल कर गया
इस धरती  की धूल !

नये नवोडा के माथे का
लाल लाल सिन्दूर
कोई बिन ब्याहे चढ़ा गये
माँ के चरणो मेंं सिन्दूर !

डॉ इन्दिरा गुप्ता

Comments

  1. मर्मस्पर्शी रचना

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    Replies
    1. शुक्रिया अनुराधा जी

      Delete
  2. दिल को हिलाकर रख दिया इस घटना ने

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा आपने शकुन्तला जी 👍

      Delete
  3. मन को अन्दर तक भिगो गया .... पलाश की तरह दहकते हैं वीर जो देश की खातिर कुर्बान होते हैं ...
    नमन है उन्हें मेरा ...

    ReplyDelete

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