पलाश ....
लो पलाश सा लाल हो गया
माँ का जाया पूत
शत विक्षत होकर घर लौटा
माँ का पलाश सा पुत!
सुरभित पवन कर गया
वो पलाश का फूल
टूटा बिखरा लाल कर गया
इस धरती की धूल !
नये नवोडा के माथे का
लाल लाल सिन्दूर
कोई बिन ब्याहे चढ़ा गये
माँ के चरणो मेंं सिन्दूर !
डॉ इन्दिरा गुप्ता
मर्मस्पर्शी रचना
ReplyDeleteशुक्रिया अनुराधा जी
Deleteदिल को हिलाकर रख दिया इस घटना ने
ReplyDeleteसही कहा आपने शकुन्तला जी 👍
Delete🇮🇳🙏
ReplyDeleteमन को अन्दर तक भिगो गया .... पलाश की तरह दहकते हैं वीर जो देश की खातिर कुर्बान होते हैं ...
ReplyDeleteनमन है उन्हें मेरा ...
🇮🇳🙏
Deleteheart touching post
ReplyDeletethanx
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