Skip to main content

मधुशाला

मधुशाला ...

मधुशाला जो मधु छलकाये
सूखे हिय रस धार बहे
सूने मन पायल सी छनके
छलक छलक मधु जाम बहे !

या विरहन का प्रेम पियासा
अश्क भरा मय का प्याला
पीकर मन मतवाला होता
भूले  विरह  तप्त ज्वाला !

या गजगामिनी चले भामिनी
मद मतंग सी मतवाली
चषक भरा रति भाव सरीखा
पीता जाता पीने वाला !

कभी लगे ज्ञान गंगा सी
शान्त भाव लिऐ हाला
सुख दुख सब विस्मृत कर देती
काबा काशी सी मधुशाला !

डॉ इन्दिरा गुप्ता
स्व रचित

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

वीरांगना सूजा कँवर राजपुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई

वीर बहुटी वीरांगना सूजा कँवर राज पुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई ..✊ सन 1857 ----1902  काल जीवन पथ था सूजा कँवर  राज पुरोहित का ! मारवाड़ की ऐसी वीरांगना जिसने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्र...

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे

वीर बहुटी जालौर की वीरांगना हीरा दे सम्वत 1363(सन 1311) मंगल वार  वैशाख सुदी 5 को दहिया हीरा दे का पति जालौर दुर्ग के गुप्त भेद अल्लाउद्दीन खिलजी को बताने के पारितोषिक  स्वरूप मिले ...

वीरांगना रानी द्रौपदी

वीरांगना रानी द्रौपदी धार क्षेत्र क्राँति की सूत्रधार .! रानी द्रौपदी निसंदेह ही एक प्रसिद्ध वीरांगना हुई है जिनके बारे मैं लोगों को बहुत कम जानकारी है ! छोटी से रियासत की ...