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स्व

स्व ...

स्व है  प्रज्ञा
स्व है  संज्ञा
स्व है एक मर्यादा
स्व बिन जाने
कैसा जीना
स्व की ना करो
अवज्ञा !
स्व ईश है
स्व कर्म है
स्व धर्म है
शाश्वत
स्व बिन जाने
गति नहीं है
स्व सदा रहे
युगांतर !

डा इन्दिरा गुप्ता
स्व रचित

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