स्व है प्रज्ञा
स्व है संज्ञा
स्व है एक मर्यादा
स्व बिन जाने
कैसा जीना
स्व की ना करो
अवज्ञा !
स्व ईश है
स्व कर्म है
स्व धर्म है
शाश्वत
स्व बिन जाने
गति नहीं है
स्व सदा रहे
युगांतर !
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बहुत सुंदर
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