मातृ स्पर्श ... माता के स्पर्श मात्र से बचपन में किलकारी है बालक की मुस्कान मनोहर हर माता को प्यारी है ! अमीर गरीब माता नहीं होती माता केवल माता है सम भाव सागर ममता का बहता जहां निरंतर है ! माता के एक स्पर्श में सारे जंग का नेह भरा माता के पावन आँचल में तरल रूप मात्रत्व बहा ! नर हो नारी हो या नारायण सब का हित माता चाहे माता की सुखद गोद के खातिर नारायण धरा उतर आये ! डा इन्दिरा गुप्ता स्व रचित