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मातृ स्पर्श

मातृ स्पर्श ...

माता के स्पर्श मात्र से
बचपन में किलकारी है
बालक की मुस्कान मनोहर
हर माता को प्यारी है !

अमीर गरीब माता नहीं होती
माता केवल माता है
सम भाव सागर ममता का
बहता जहां निरंतर है !

माता के एक स्पर्श में
सारे जंग का नेह भरा
माता के पावन आँचल में
तरल रूप मात्रत्व बहा !

नर हो नारी हो या नारायण
सब का हित माता चाहे
माता की सुखद गोद के खातिर
नारायण धरा उतर आये !

डा इन्दिरा गुप्ता
स्व रचित

Comments

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ती।

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  2. बहुत सुंदर रचना

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ दिसंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  4. नर हो नारी हो या नारायण
    सब का हित माता चाहे
    माता की सुखद गोद के खातिर
    नारायण धरा उतर आये !
    बहुत प्रभावशाली पंक्तियाँ !!! सादर।

    ReplyDelete
  5. मातृत्व से भरी कोमल अभिव्यक्ति मीता। बहुत सुन्दर ।

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