मेघ मल्हार मतवारे ....
मेघ मल्हार गाये मतवाले
छलक रहे मधु रस के प्याले
कली कली भँवरे रस पीते
मदमाते मति भ्रम में फिरते !
बिजुरिया चमकत ज्यों नभ गरजत
कुँज कुँज में बोले कोयलिया
कजरारे नैन पिय तरसत
पिय आवन की देय खबरिया !
बदली सी पगली हुई आई
राह तकत जो बैठी गुजरिया
पावस ऋतु से नैन है गये
हरियायें घाव जो भरिया !
मेघ मल्हार से कान्हा आये
दौड़ी भागी आई राधिका
नेह पगे से कान्ह खड़े थे
सकुचाई तनि देख गुजरिया !
वृंद वृंद मुस्कावन लागे
हरित पात नहलाये बदरिया
नैनो से जब नैन मिले जब ही
बिसर गई राधे संग सखियाँ !
डा इन्दिरा ✍
वाह बहुत सुन्दर सरस रचना।
ReplyDeleteआभार
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ReplyDelete"बदली सी पगली हुई आई
ReplyDeleteराह तकत जो बैठी गुजरिया
पावस ऋतु से नैन है गये
हरियायें घाव जो भरिया !"
वाह दीदी जी अद्भुत सुंदर मनमोहक रचना 👌
नेह भरा आभार sis
Deleteउत्तम रचना ... बहुत ख़ूब
ReplyDeleteनेहिल आभार
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ९ जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।