राखी ..
रा +खी = राखिये 
शगुन भरा 
राखिये अनुपम 
भाई बहन
 सम्बन्ध ! 
नेह बंध जो 
मिला हमें 
एक कोख 
एक जन्म ! 
ऐसा बंधन जो 
चलता है 
बिन सोचे 
जीवन पर्यंत ! 
दूर पास कोई 
अर्थ नहीं 
ये रिश्ता 
चाक चौबंद ! 
नेह भाव 
सतत बहता 
बन अनुपम 
सा 
मधुछंद ! ! 
डा इंदिरा .✍
स्व रचित 
26 . 8 . 2018 
प्रिय इंदिरा जी बहुत ही मधुर है भाई बहन के प्रेम की ये सनेहासिक्त परिभाषा ।जन्म का नाता और रक ही जन्मदाता इसे विशेष बनाते हैं ।आपको रखी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ।
ReplyDeleteअति आभार रेनू जी कितना सहज भाव से आप लिखती हो
Deleteमन हुलस जाता है !
सुप्रभात
बहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteरक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं
शुक्रिया आपको भी बधाई रक्षा बंधन की सखी
Deleteबहुत खूबसूरत अहसास मीता दिल से दिल तक ।
ReplyDeleteशुक्रिया मीता diil.को दिल से राहत होती है !
Deleteसुंदर रचना इंदिरा जी
ReplyDeleteआभार अनुराधा जी
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