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जरूरी है 🌺

गुले गुलाब की चाहत गर जरूरी है
तो काँटों से यारी भी मजबूरी है !

चाहते गुलाब बदलो या चाहते एहसास
किसी एक का बदलना मगर जरूरी है !

तुफ़ाने मौज कश्ती को बहा कर ले गई
सुकूने आलम हो हर वक्त क्या जरूरी है

रन्जो गम जिंदगी को सताते है बेइंतहा
आँख पुरनम रहे हरदम क्या जरूरी है

किसी मोड़ पर जब जिंदगी से हो सामना
हो बेअदब से सवालात  क्या जरूरी है !

चलो जल्द ही हो गया जिंदगी का मुआयना
ता उम्र रहे बवाल  क्या जरूरी हे !

डा  इन्दिरा ✍

Comments

  1. बहुत खूबसूरत रचना... वाह!!! बहुत खूब ...

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    1. आभार नीतू जी आपका वाह हमारा उत्साह

      Delete
  2. वाह क्या कहने जानदार अस्आर
    तूसी छा गये👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया मीता अस्सी छा गये तुस्सी भा गये ..😃😘

      Delete
  3. बहुत ही सुन्दर...
    वाह!!!

    ReplyDelete

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