रूहानी सी बात !
पिघलती रूह ..थरथराते लम्हे
लरजते एहसास ....बहते जज्बात
रूहानी सी बात .....सरगोशी की रात
जागती पलकों का इंतजार
कतरा- कतरा बिखरता वजूद
कुछ सुगबुगाते से लम्हात
नजरों का फलसफा था कोई ,
या ....
याद आई बिसरी कोई बात !
डा इन्दिरा ✍
लरजते हाथ उठे कहकशां को ले थामने
ReplyDeleteदामन मे रह गई बस कुछकतरे बरसता के ।
वाह लफ्जों की जादूगरी।
वाह!! लाजवाब ।
ReplyDeleteवाह क्या बात है..... लाजवाब
ReplyDeleteवाह दीदी जी
ReplyDeleteये सुंदर अल्फाज़
और रूहाना अंदाज़
हर रूह को छू जाए
कुछ यू लिखे जज़्बात 👌