वीर बहुटी ..नर्तकी अजीजन बाई
वारंगना नहीं वीरांगना ✊
पुजारी है वही जो राष्ट्र का गुणगान करते है
जला कर देह औरों केलिये गुण गान करते है
वहाँ पर टेकने माथा स्वयं भगवान आते है
जहाँ पर वीर माता के लिये बलिदान करते ही !
क्रमशः
18
नाना ने राखी बँधवाई
तलवार राखी बँधवाई दी
मुँह बोली बहन बनी तवायफ
ममता से भर गई झोली !
19
अजीजन नै हाथ पकड़ चूमा
बहन भाई का नेह पगा
छाती से नाना ने लगा लिया !
सर पर नेह से हाथ रखा !
20
अश्रु पूरित नयनों से तवायफ ने
फिर क्रांति का यलगार किया
मान और सम्मन के खातिर
दांव जान का खेल दिया !
21
यूं भी अंग्रेजों के प्रतिशोध ज्वाल
अजीजन के हीये धधकती थी
क्षत्राणी से गणिका बनवाया
बात शूल सी चुभती थी !
22
अजीजन की मस्तानी टोली ने
बड़े बड़े से कार्य किये
अंग्रेजों के सैकड़ों सिपाही
मौत के घाट उतार दिये
23
बड़ी निराली निकली टोली
अजब गजब के काम किये
बीबी घर (लाल बंगला ) के लोगों का
सरे आम ही कत्ल किये !
24
हजारों अंग्रेज सैनिकों को
रूप जस्ल से भ्रमित किया
फिर अपनी तरफ मिला कर
गद्दारों का कत्ल किया !
25
एक जून सन 1857 मैं
क्रांति कारियों की विशेष सभा बुलाई
गंगा जल को साक्षी मान कर
सब से कसम उठवाई !
26
अंग्रेज हुकूमत को जड़ से
भारत से उखाड़ कर फैकेगे
जीतेजी ना युद्ध रोकेंगे
चाहे मर के शहीद रहेंगे !
27
दो युद्धों मैं भाग लिया
एक जीता एक हार दिया
हार जान कर नहीं डरी
विचलित मन को नहीं किया !
28
इस युद्ध मैं अजीजन की भूमिका
अति प्रभाव कारी थी
तलवार हाथ मैं लिये युवकों को
टोली आमंत्रित करती थी !
29.
घायल सैनिकों का इलाज
देख भाल और भोजन
अपने हाथों से कराती
मृदु मुस्कान से सारी पीड़ा हरती !
30
देख भक्त के लिये शहद सी
मृदु होती हर मस्तानी
सहर्ष प्रेम स्वीकारती उनका
व्यवहार सुखद सा देती थी
31
युद्ध विमुख या कायर होते
धिक्कार उन्हें पड़ती थी
अपमानित होने के डर से
जम कर फोजै लड़ती
32
क्रांति कारी दामोदर सावरकर
अजीजन से बड़े .प्रभावित थे
वारंगना नहीं वीरांगना है ये
कह कर आदर करते थे !
33
उसकी एक मुस्कान सरस
सैनिक मैं जीवन भर देती
युद्ध से भागे सैनिक को
पुनः रण क्षेत्र मैं पठा देती !
34
उसका प्यार साधारण धन के
लिये नहीं बाजार मिले
युद्धवीर और क्रँतिवीरो को
मुफ्त और सहर्ष नेह मिले !
35
बिठूर युद्द पराजित नाना
सुरक्षित वहाँ से प्रस्थान किये
पर पकड़ी गई अजीजन
उसके थे कुछ भाग्य बुरे !
36
जनरल हैव्लाक के आगे
प्रस्तुत किया युद्ध कैदियों को
स्वर्ण रूप दमक रहा था
हैरान हो गया जनरल वो !
37
बोला क्षमा मांग लो
और क्रांतिवीरों का पता दो
स्वतंत्र रहो नाचो गाओ
फिर महफिल आबाद करो !
38
पर नराधम क्या जानता
देश भक्ति की ज्वाला को
तन का सौंदर्य अलग बात है
समझ ना पाया मन की भाषा को !
39
दहाड़ उठी अजीजन तब ही
क्या बकता रहा तू फिरंगी
औकात मैं रह कर बात करो
मत समझ मुझको केवल नर्तकी !
40
माफी तो तुम मांगों अधम
देश हमारे चढ़ दौड़े
अमानवीय कृत्य करते हो
हम पर जुल्म सरे आम तोड़े !
41
जीते जी मैं क्या कोई ललना
तुझको ना माफ करेगी
छोड़ के जाओ मुल्क हमारा
तभी कोई बात बनेगी !
42
सुन कर अजीजन का जवाब
हैव्लाक आवाक हो आया
फिर तुरंत ही क्रोधित होकर
मृत्यु दण्ड सुनया !
43
पलक झपकते स्वर्ण रूपसी
धरती पर पड़ी दिखाई
अँगेर्जो की गोली छाती से
कई बंदूकों से आ टकराई !
44
भारत की वीर प्रसूता धरती
ऐसी वाला जनती है
अपने देश की रज के खातिर
जी जीती है मरती है !
डा इन्दिरा ✍
अप्रतिम। अद्भुत। अनुपम। बेमिसाल। बेहतरीन। लाज़वाब
ReplyDeleteकितनी भी मिसाल दी जाये क्षीण ही दिखती है आपकी ओजस्वी कलम की विशालता के आंगें। आप जिस तरह से एक अविरत मिशन की तरह स्वतंत्रता संग्राम की अमर वीरांगनाओं को पुष्पाजंलि अर्पित कर रहीं हैं वह सभी रचनाकारों के लिये अनुकरणीय है।
आपके इस पुनीत कार्य को चंद स्वरचित पंक्तियाँ अर्पित कर रहा हूँ -
इतिहास रखेगा याद आपकी इन कृतियों को
रखा पटल पर पुनः आपने स्मृतियों को
निश्चित ही तुम हो उनमें से एक बहूटी
है नमन तुम्हें है नमन तुम्हारी इन प्रतियों को।
आपकी इस अनुपम प्रतिक्रिया के आगे निशब्द और मौन हूँ ...उत्साह वर्धन का अतुल्य आभार .🙏
ReplyDelete"पुजारी है वही जो राष्ट्र का गुणगान करते है
ReplyDeleteजला कर देह औरों केलिये गुण गान करते है
वहाँ पर टेकने माथा स्वयं भगवान आते है
जहाँ पर वीर माता के लिये बलिदान करते ही ! "
देशभक्ति के अद्भुत संदेश के साथ लाजवाब प्रस्तुति
वाक़ई अजीजन बाई की देशभक्ति मिसाल है जो प्रेरणादायक भी है सादर नमन इनकी देशभक्ति को