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वीर बहुटी ..रानी अहिल्याबाई होलकर

वीर बहुटी
रानी अहिल्या बाई  होलकर ...
     एक महान शासक और मालवा  राज्य की महरानी लोग उन्हें राज माता अहिल्याबाई  होलकर  के नाम से जानते हैं !
अहिल्याबाई का जन्म महराष्ट्र के चौड़ी गांव में सन 1725 में हुआ था ! उनके पिता मानकों जी शिंदे खुद धन नगर समाज से थे ! जो गाँव  के पाटिल के पद पर कार्य रत थे  !
मानकों शिंदे जी ने उस काल में भी अपनी पुत्री अहिल्याबाई को खूब पढ़ाया लिखाया ! अहिल्याबाई का जीवन अति साधारण  तरीके से बीत रहा था ! की अचानक उनके भाग्य ने पलटी खाई और वह 18 वीं सदी की मालवा की रानी बन गई !
हुआ यूं की अहिल्याबाई के चरित्र .व्यवहार .सरलता और चातुर्य देख मल्हार राव बहुत प्रभावित हुए ! उस समय वो पेशवा बाजीराव के सेना में एक कमांडर की तौर पर कार्य कर रही थी !उन्होनें अहिल्या की शादी अपने छोटे बेटे खाडेराव से करवा दी !
इस तरह अहिल्याबाई एक दुल्हन के तौर पर मराठा समुदाय के होलकर राज घराने में पहुंच गई ! उनके पति की मृत्यु सन 1754 में कूम्हेर की लड़ाई के दौरान हो गई ! ऐसे मैं अहिल्याबाई के कंधों पर पूरी राज्य की जिम्मेदारी आ गई ! उन्होनें अपने ससुर के कहने पर सेन्य ही नहीं प्रशासनिक मामलों में भी रुचि दिखानी शुरू की और प्रभावकारी तरीके से हर काम को अंजाम दिया !
मल्हार राव के निधन के बाद उंहोंने पेशवाओ से आग्रह किया उन्हें  क्षेत्र की प्रशाशनिक बाग डोर  सौंपी जाये !
इस बात की मंजूरी मिलने के बाद सन 1766 में अहिल्याबाई मालव  राज्य की शासिका बन रानी अहिल्याबाई  होलकर  कहलाई ! उन्होनें विश्वास पात्र तुका जी को सेन्य कमाण्डर बनाया ! उन्हें अपनी राजसी सेना का पूर्ण समर्थन मिला ! अहिल्याबाई ने स्वयं कई युद्धों का नेत्रत्व किया ! इसी से स्पष्ट होता है वो कितनी वीर धीर नारी थी !
हाथी पर चढ़ कर लड़ना और तीरंदाजी उनके प्रिय शगल थे वो एक कुशल तीरंदाज थी !
उन्होनें आक्रमण करने को तत्पर भील और गोडसे जातियों से अपने राज्य को सदा सुरक्षित रखा !
कुछ समय बाद रानी अपनी राजधानी महेश्वर ले आई ! वहां उंहोंने 18 वीं सदी का सबसे बेहतरीन और आलीशान  अहिल्या  महल बनवाया ! पवित्र नर्बदा नदी के किनारे बनाये गये इस महल के इर्द गिर्द राजधानी की पहचान बनी I टेक्टाइल इंडस्ट्रीस से ! इसी दौरान महेश्वर साहित्य .मूर्ति कला .संगीत .और अन्य कलाओं का महेश्वर गढ़ बन गया !
मराठी कवि मोरोपंत शाहीर .अनंत फडी .और संस्कृत के विद्वान खुलासी राम उन्हीँ के काल खण्ड  के महा कवि है !
बुद्धिमता .तीक्ष्ण दिमाग .विशाल सोच .दूरदर्शिता .रानी के रूप मैं इतिहास में उन्हें जाना जाता है ! वो साधरण जन मानस  के साथ मिल कर त्यौहार मनाती थी ! और हिन्दु  मन्दिरों  मैं दान देती थी !
एक विशेष बात महिला होने के नाते उन्होनें विधवा महिलाओं को अपने पति की सम्पत्ति को हासिल करने और पुत्र गोद लेने का हक दिलवाया !
इन्दौर को एक छोटे से गाँव  से समृद्ध और सजीव शहर बनाने मैं उन्होनें  एक अहम भूमिका निभाई ! तकरीबन सभी बड़े मंदिरों ..तीर्थ स्थलों का निर्माण करवाया
हिमालय से लेकर दक्षिण भारत के कोने कोने तक उन्होनें मंदिरों पर बहुत पैसा खर्च किया ! काशी .गया  .सोमनाथ अयोध्या .मथुरा .हरिद्वार .
द्वारका बद्रीनारायण .रामेश्वरम और जगन्नाथपुरी जैसे विख्यात मंदिरों मैं खूब काम करवाया !
अहिल्या बाई का चमत्कृत कर देने वाला और अलंकृत शासन सन 1795  में उनकी मृत्यु के साथ खत्म हो गया ! उनकी महानता और सम्मान में भारत सरकार ने 25 अगस्त सन 1996 में उनकी याद में एक डाक टिकट जारी किया था ! और इन्दौर के नागरिकों ने सन 1896 में ही उनके नाम से एक पुरुस्कार स्थापित  किया ..."असाधारण कृतित्व  "
किसी भी व्यक्ति को उसके द्वारा  किये गये किसी असाधारण  कृतित्व पर वो पुरुस्कार दिया जाता है ! इस  पुरुस्कार के सम्मान  से जिसे सर्व प्रथम नवाजा गया  वो थे नाना जी देख मुख !
इस तरह अपने हुनर .कार्य शैली और वीरत्व के बल पर एक अति साधारण परिवार में जन्मी साधारण सी बालिका अहिल्या ....राजमाता ..महारानी ...अहिल्याबाई होलकर  कहलाई !
यानी .....कर्म .यश .वीरता और कर्तव्य परायणता किसी जाती या व्यक्ति विशेष की जागीर नहीं होते ! हर व्यक्ति इसे प्राप्त कर सकता है !और यश प्राप्त कर सकता है !
नर हो या नारी
कोई नहीं लाचारी !
यदि दृढ़ता हो  कर्मों में
जंग जीत ले हर कर्तव्य कारी !
शत शत नमन 🙏

1
महराष्ट्र के चौड़ी ग्राम में
सन 1725 में जन्म लिया
पिता मानको  जी शिंदे
गाँव  के पाटिल पद मिला !
2
स्वयं पिता धन नगर समाज से
शिक्षित और प्रतिष्टीथ  थे
पुत्री को पढ़ा लिखा कर
देश हित का पाठ पढ़ाते थे !
3
बाला अहिल्या सभ्य सरल सी
मल्हार राव के मन भाई
छोटे बेटे खांडेराव से
शादी अहिल्या की करवाई !
4
इस तरह अहिल्या शिंदे
अहिल्याबाई होलकर कहलाई
विवाह हुआ नव विवाहिता
मराठा कुलवधू बन आई !
5
कुछ वर्ष बीते विवाह को
तनिक सुख ही देख पाई
कूम्हेर के युद्ध क्षेत्र में
खांडेराव ने वीर गति पाई  !
6
खांडे राव के ना रहने पर
जिम्मेदारी अहिल्या पर आई
तनी ना विचलित हुई सिंहनी
पूर्ण कुशलता दिखलाई !
7
मल्हार राव के कहने पर
सब सैन्य मामलों को देखा
प्रशाशनिक कार्य में रुचि दिखाई
कुशलता से अंजाम दिया !
8
पर दुर्भाग्य साथ खड़ा था
मल्हार राव भी शांत हुए
नितांत अकेली हुई अहिल्या
पति ससुर सब छोड़ गये !
9
पेशवाऔ  से किया निवेदन
सहज रूप से बात सुने
प्रशासन  की बाग डोर सारी
अब उनके हाथों में देदै !
10
मंजूरी मिली रानी को
अहिल्या रानी कहलाई
तुका जी बने सेन्य कमाण्डर
राजसी सेना सब हर्षाई !
11
रानी स्वयं कुशल योद्धा थी
हर पल लड़ने को तय्यार
हाथी पर चढ़ कर लड़ना भाता
थी कुशल  तीरंदाज !
12
रानी अपनी राजधानी को
महेश्वर शहर ले आई
18 बी सदी का बेहतरीन किला
अहिल्या महल बनवाई !
13
पवित्र नर्वदा नदी किनारे
आलीशान किला तैयार हुआ
इर्द गिर्द टेक्लाइल इंडस्ट्री
कलाकारों को स्थान दिया !
14
महेश्वर साहित्य मूर्ति कला .
संगीत गायन और नर्तन
कलाकारों का गढ़ बन गया
रानी देती पूर्ण समर्थन !
15
मराठा कवि मोरों पंथ शाहीर
अनंत फडी  कवि राज हुए
संस्कृत के विद्वान जहाँ से
खुलासी राम महान  हुए !
16
बुद्धिमानी .तीक्ष्ण सोच
दूरदर्शिता शासिका थी
जन मानस के साथ मिल कर
त्यौहार मनाती रानी थी !
17
विधवा और महिला होने से
विधवाओं का दुख समझती थी
पति सम्पत्ति में  हक दिलवाया
वो पुत्र गोद ले सकती थी !
18
छोटा सा इन्दौर  राज था
मान  चित्र पर ना दिखता था
समृद्ध जागृत शहर बनाया
जाती भेद नहीं होता  था !
19
हिमालय से दक्षिण तक
पूर्व से लेकर पश्चिम तक
तीर्थ स्थानों का निर्माण किया
बिना ऊंच नीच लख कर !
20
काशी गया  सोमनाथ
अयोध्या .मथुरा हरिद्वार
द्वारिका .बद्री नाथ .रामेश्वरम
जगन्नाथ पूरी जिणोद्दार  किया !
21
क्या अलंकृत शासन था
सुख की धूप निकलती थी
प्रजा पूर्ण सम्पन्न बनी
वहां शांति सदा पसरती थी !
22
सुखद काल का अंत हुआ
जब सन 1795  में
रानी अहिल्या का निधन हुआ
देश वासी रह गये सकते मे !
23
सूर्य अस्त कहाँ होता है
उजियाला सदा बिखरता है
अहिल्या पर महराष्ट्र का
अनूठा नेह सरसता है !
24
25 अगस्त सन 1996 में रानी का
डाक टिकट जारी किया गया
अहिल्या का नाम सदा के लिये
इतिहास पृष्ठ पर लिखा गया !
25
सन 1996 में ही उनके नाम से
एक पुरुस्कार स्थापित किया गया
असाधारण कृतित्व के लिये
उपहार निर्धारित किया गया  !
26
प्रथम जिसे पुरुस्कार मिला ये
नाना  जी भाई  देश मुख थे
रानी की वीर गाथा के
पक्के  अनुयाई कट्टर थे !
27
स्वयंसिद्धा थी अहिल्या
स्वयं ही वीर योद्धा थी
साथ साथ ममत्व भरा दिल
प्रजा के लिये रखती थी !

डा इन्दिरा  ✍





Comments

  1. बहुत बहुत सुंदर वीर बहूटी ब्लाग आज ये लेख और पूरी कविता पढ़ी और करीब १९८६/८७ मे व ६ दिसम्बर १९९२ मे दो वार अयोध्या मे आदरणिया महारानी अहिल्या बाई होल्कर का मन्दिर देखा

    ReplyDelete
  2. अहिल्या बाई का गौरव पूर्ण इतिहास हर नारी के लिये मार्ग दर्शन जैसा है।
    नमन उच्च प्रतिभाशाली महान नारी रत्न को ।
    और साधुवाद आपकी शानदार प्रस्तुति को

    ReplyDelete

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