वीरांगना रानी बाघेली
मारवाड़ राज्य जोधपुर की पन्ना धाय .!
रानी बाघेली मारवाड़ जोधपुर राज्य के बुलुँदा जागीर के राजा मोह्क्म सिंह की देश के प्रति प्रेम रखने वाली रानी थी !
26 नवम्बर सन 1678 अफगानिस्तान .के जमाद नामक सैनिक ठिकाने पर जोधपुर के राजा जसवंत सिंह का निधन हो गया ! निधन के समय उनके साथ रह रही दोनों रानियां गर्भवती थी ! इसलिये उन्हें वीर शिरोमणि दुर्गा दास जी व अन्य जोधपुर के सरदारों ने राजा के पार्थिव शरीर के साथ सती होने से रोक दिया ! उन्हें चौकी से लाहौर ले गये वहां दोनों ने एक एक पुत्रों को जन्म दिया बड़ा अजीत सिंह और छोटा हलथेम्न सिंह ! नवजात शिशुओं और दोनों रानियों को लेकर जोधपुर सरदार सन 1679 में लाहौर से दिल्ली पहुंचे ! तब तक औरंगजेब ने कूटनीति से पूरे मारवाड़ राज्य पर अपना कब्जा कर लिया ! जगह जगह मुगल चौकियां बैठा दी ! और राजकुमारों को उत्तराधिकारी मानने से इंकार करने लगा !
तब तक जोधपुर.का सरदार वीर दुर्गा सिंह ने औरंगजेब के षडयंत्र को भाप गये थे ! उन्होनें राजकुमार अजीत सिंह को जल्दी से जल्दी दिल्ली से जोधपुर भेजने का निर्णय लिया ! पर औरंगजेब के कडे पहरे से छुप कर राजकुमारों को निकाल ले जाना बड़ा दुरूह कार्य था !
भाग्य प्रबल था राजकुमार अजीत सिंह का उसी समय मोहकम सिंह की पत्नी रानी बाघेली अपनी नवजात राजकुमारी के साथ दिल्ली ठहरी हुई थी !
बस फिर क्या था वीर दुर्गा दास के कहने पर राजकुमार अजीत सिंह की जान बचाने के लिये रानी बाघेली ने अपनी कोख जाई नवजात कन्या से शिशु राजकुमार अजीत सिंह को बदल लिया ! राज कुमार को राजकुमारी के वस्त्र पहना कर उसे उनके कपड़ों से तुरंत ढक लिया !
रानी ने अपनी कन्या को ईश्वर और भाग्य के भरोसे छोड़ कर अंतिम बार देखा और राजकुमार को गोद मैं उठा अपने संरक्षक खींची मुकेमदार और कुंवर हरी सिंह के साथ दिल्ली से निकाल कर बुलुँदा सुरक्षित ले आई ! निर्णय लेने मैं रानी ने एक पल की भी देर नहीं लगाई ! वीर शिरोमणि दुर्गा दास जी सजल नयनों से रानी को राजकुमारी को छोड़ कर राजकूमार को ले जाते हुए देखते रहे ! और मन ही मन उस वीरांगना को नमन किया ! राजकूमार को बुलुँदा लाने का काम इतनी गोपनीयता से किया गया की रानी .राजा मौह्कम सिंह .खींची मुकुंद दास .कुंवर हरी सिंह और दुर्गादास जी के अलावा रानी की दासियों को भी इस बात की भनक तक नहीं लगने दी गई ! की राजकुमारी के भेष में जोधपुर का उत्तराधिकारी राजकूमार अजीत सिंह है !
6 माह आराम से निकल गये रानी की कार्य गुजारी और हिम्मत को देख आश्चर्य होता है ! किसी को कानों कान खबर नहीं हुई पर दुर्भाग्य एक दिन नहलाते समय एक दासी की नजर राजकुमार पर पड गई ! उसने ये बात अन्य रानियों को बता दी महल में चर्चा होने लगी !
रानी परेशान हो गई समझ गई अब बुलुँदा राजकूमार के लिये सुरक्षित नहीं रहा !
रानी ने पीहर जाने का बहाना बनाय और खींची मुकुंद दास और कुंवर हरिसिंह की सहायता से राजकुमार को लेकर सिरोही के कालिंदी गांव मैं अपने एक निष्ठावान परिचित पुष्करणा ब्राम्हण जयदेव के घर राजकुमार को ले आई !
रानी ने जयदेव से विनम्रता से कहा ....आज से आपको ही इनका लालन पालन करना है ! पर खबरदार किसी को भनक ना लगे ये जोधपुर के उत्तरधिकारि राजकुमार अजीत सिंह है ! वयस्क होने तक इनका परिचय आपके पुत्र के रूप में ही रहेगा !
निष्ठावान रानी का निष्ठावान सेवक जयदेव ने रानी की आज्ञा को पत्थर की लकीर माना और उनकी पत्नी ने अपना दूध पिला कर राजकुमार को पुत्र समान ही नेह दिया ! जब तक अजीत सिंह वयस्क हो कर राजा अजीत सिंह नहीं बने !
जोधपुर राज्य सदा रानी बाघेली का ऋणी रहेगा ! यदि वो उस समय मन पर पत्थर रख कर अपनी कोख जाई नवजात राजकुमारी का त्याग कर राजकुमार को जोधपुर लेकर नहीं आती तो आज इतिहास कुछ और ही होता !
रानी बाघेली को इतिहास मारवाड़ की पन्ना धाय के नाम से याद करता है ! और उनके समक्ष सदा नत मस्तक रहता है !
रानी बाघेली ने अपनी कोख सुनी कर जोधपुर उत्तराधिकारी को बचाने के लिये वही भूमिका निभाई जो पन्ना धाय ने अपनी कोख सुनी कर उदयपुर के उत्तराधिकारी को बचाने के लिये निभाई थी !
धन्य है मारवाड़ की माटी जो ऐसी नारियों को जन्म देती है जो देश हित और स्वामी भक्ति का अनूठा उदाहरण बन इतिहास के प्रष्ठो को अजर अमर हो गई !
नमन 🙏
1
राजा मोहक सिंह मुकुँदा
जोधपुर शहर जागीर
रानी उनकी बाघेली
क्षत्राणी वीर और धीर !
2
ह्रदय थाम कर सुनलों भाई
अद्भुत नारी की ये कहानी
देश के खातिर बलि देदी
अपनी कोख जाई निशानी !
3
पन्ना धाय की नहीं वंशजा
उससे कम भी उदगार नहीं
रक्त बह गया क्षत्राणी का
देश भक्ति की मिसाल बनी !
4
जोधपुर नरेश का निधन हुआ
रानियां गर्भ वती थी दोनों
एक एक पुत्र को जनम दिया
सलोने राज कुंवर दोनों !
5
बड़ा अजीत सिंह छोटा हल्मँथन
पर बड़ा विचित्र समय आया
औरंगजेब ने तब तक
भारी षडयंत्र था रचाया !
6
मारवाड़ पर कब्जा कीना
जगह जगह चौकी रखी
राजकुमार जोधपुर ना पहुंचे
पूरी उसकी योजना थी !
7
दिल्ली से जोधपुर ले जाना
राजकुमारों को मुश्किल था
राह में मुगलों की चौकी थी
नजरों का भारी पहरा था !
8
दुर्गा सिंह असमंजस में थे
कैसे कुंवारों को मारवाड़ भेजे
उत्तराधिकारी जोधपुर के
कैसे प्राणों की रक्षा करें !
9
भाग्य प्रबल था राज कुमार का
तभी एक उपाय मिला
बुलुँद शहर की रानी बाघेली
उसके भी थी नवजात कन्या !
10
वो भी दिल्ली मैं ठहरी थी
नवजात कुंवारी के संग
पति राजा मोह्क्म सिंह जी
बुलुँद शहर राजा के संग !
11
दुर्गा सिंह ने नीति बनाई
कुँवर को कुंवारी से बदलो
दोनों के वस्त्र आभूषण बदल कर
राजकुमार बाघेली को देदो !
12
पल की देर नहीं की रानी ने
झट से नीति को हामी दी
क्षण में कोख जाई पुत्री को
राजकुमार से बदली की !
13
वीर शिरोमणि दुर्गा सिंह भी
देख रहे थे रानी को
माथे पर कोई शिकन नहीं थी
जब त्याग रही खुद जाई को !
14
जानती थी फिर ना देख पाऊँगी
अपनी प्रसूता कन्या को
जीवित रहेगी या मर जायेगी
ना सोचा किसी समस्या को !
15
सुभट वीरानी की भांति
रानी बाघेली लगती थी
द्रडता से राजकुमारी के बदले
राजकूमार को लेती थी !
16
पल भर को नजर मिली बेटी से
वो देख के माँ को मुलक गई
मानो कहती हो चिंता ना कर
तू वीर प्रसूता की जननी !
डा इन्दिरा ✍
क्रमशः
अद्भुत अप्रतिम मीता सुंदर काव्य कथा विस्तार लय बद्ध सरस।
ReplyDeleteप्रिय इंदिरा बहन -- चिकित्सीय सेवा से बंधे होने के वावजूद इतिहास की वीरांगनाओं के यशोगान के लिए इतना समय कैसे निकाल पाती होगीं आप ? अक्सर सोचती हूँ |पर आपकी इस अभिरुचि ने उन करुणामयी औरतों के गौरव में चार चंद लगा दिए जिनको इतिहास भुलाने लगा था अनजाने में | मेरे जैसे साधारण पाठक भी इन वीर नारियों के बारे में कहाँ ज्यादा जानते हैं ?रानी बघेली की कर्तव्यपरायणता से इतिहास गौरवान्वित हुआ | पन्ना धाय का पुत्र -बलिदान तो सर्व विदित है- पर खेद है बहना --रानी बघेली के बारे में ज्यादा नही जानती थी | आपने गद्य में गौरव कथा लिखी तो पद्य में गौरव गान रचा | नमन है भारत की इन बुद्धिमती
ReplyDeleteसाहसी नारियों को जिन्होंने अपने कर्तव्य के आगे अपनी अबोध संतान की जान की भी परवाह नही की | मुझे पढ़कर बहुत अच्छा लगा | आपके इस प्रयास को नमन करते हुए अपनी शुभकामनाये देती हूँ | सस्नेह --
इंदिरा बहन कृपया अपने ब्लॉग पर अपना एक चित्र डालें | pl--
ReplyDeleteबहुत सुंदर....अशेष बधाइयाँ
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मरुधर माटी कूँ नमन,ऊँची जाकी शाख ।
बीर और बीरांगना,भये मित्र जित लाख ।।
मोल नहीं जित जान कौ,रही बोल में जान ।
धरती बू जग में भली,जानौ राजस्थान ।।
देश प्रेम के भाव अरु,सबको आदर मान ।
यश वर्णन कण कण करे,जय जय राजस्थान ।।
- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
श्रोत्रिय निवास बयाना(राज)