वीर बहुटी वीरांगना जैतपुर की रानी ..✊
बात उस समय की जब ईस्ट इंडिया कम्पनी विस्तार नीति का पालन कर रही थी ! लार्ड क्लाइव ने भारत में 
ब्रितानी राज्य की स्थापना की ! जिसे लार्ड कार्न्वलीस और लार्ड बेलेजली  ने भारत के कोने कोने में फैला दिया ! 
लार्ड डलहौजी ने हड़प की नीति अपनाते हुए 
झांसी .सतारा .आदी राज्यों को कम्पनी साम्राज्य में मिला लिया ! बाकी बचे राजाओं और सरदारों के अधिकार भी समाप्त कर दिये ! लार्ड एलन वर्ड ने जैतपुर जैसी छोटी सी रियासत के स्वतंत्र अस्तित्व को तहस नहस कर दिया ! 
जैतपुर बुंदेलखंड की एक छोटी सी रियासत थी ! कम्पनी सरकार ने 27 नवम्बर सन 1842 ई में जैतपुर पर अधिकार कर उसे ब्रितानी राज्य में मिला लिया ! 
उस समय जैतपुर में आजादी का प्रेमी राजा परीक्षित शासन करते थे ! उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य ब्रितानी सत्ता को भारत से जड़ से उखाड़ फैंकना था ! पर वह कम्पनी सरकार की तुलना में बहुत कमजोर और कम थे ! अतः कम्पनी सरकार ने बहुत आसानी से उन्हें पराजित कर जैतपुर पर अपना अधिकार कर लिया ! ऐसी स्तिथि में राजा परीक्षित को अपना जैतपुर छोड़ कर भागने को विवश होना पड़ा ! ब्रिटिश सरकार ने अपने एक समर्थक सामंत को जैतपुर के शासन का भार सौंप दिया इससे राजा परीक्षित को मानसिक आघात लगा ! वो इस अपमान को सहन नहीं कर सके और उनका निधन हो गया ! 
राजा परीक्षित के निधन के बाद उनकी रानी ने प्रतिज्ञा की वो अपने जीवन के अंतिम पल तक ब्रितानिया सरकार की दासता स्वीकार नहीं करेगी ! उनसे लोहा लेती रहेगी ! 
 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय अन्य राजाओं की भांति रानी ने भी विद्रोह किया ! अपने राज्य को पुनः पाने के लिये ब्रितानिया राज्य से संघर्ष प्रारम्भ किया ! 
मालवा .बानपुर और शाहगढ़ आदि स्थानों पर रानी ने विद्रोह का झंडा फहरा दिया ! सन 1867 की क्रांति के समय रानी  को स्थनीय ठाकुरों का सहयोग भी प्राप्त हुआ ! रानी ने उनके सहयोग से खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया ! और तहसीलदारों के समस्त कोष पर कब्जा कर लिया ! 
जैतपुर की रानी ने ब्रितानिया राज्य के विरुद्द संघर्ष जारी रखा ! पर अंत में उंहे युद्द मैदान छोड़ने को विवश होना पड़ा ! 
भारत का सदा दुर्भाग्य रहा है उनके ही लोगों द्वारा विश्वासघात होता रहा है ॥ अपने ही लोग देश संकट के समय दुश्मनों की मदद कर देते है अगर ......जयचंद देश के साथ  विश्वासघात ना करता तो  हिंदुस्तान में मोहम्मद गौरी का शासन कभी स्थापित नहीं होता ! ....
अगर प्लासी युद्ध सन 1757 में नवाब सिराजुद्दौला के मुख्य सेनापति मीर जाफर ब्रितानियों से मिल कर धोखा ना करते तो भारत का इतिहास कुछ और ही होता ! 
यहां भी यही हुआ एक वीरांगना महिला जो ब्रितानिया सरकार के खिलाफ जंग कर रही थी उसी दूसरी तरफ कुछ देश द्रोही शासक और सामंत रानी के खिलाफ ब्रितानिया सरकार की मदद कर रहे थे ! 
चट्खेरी के राजा जो रानी के मित्र थे उंहोंने ही ब्रिटिश सरकार के समर्थन मैं रानी की सेना के विरुद्ध युद्ध प्रारम्भ कर दिया ! कुछ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ अनेक क्रांति कारी अपने ही लोगों के द्वारा मारे गये ! 
ऐसी स्तिथि मैं रानी विवश होकर टिहरी चली आई और वही उनका निधन हो गया ! ....पर अंतिम पलों तक उन्होनें अंग्रेजों की दासता स्वीकार नहीं की 
जैतपुर की रानी का साहस और देश भक्ति कभी भुलाई  नहीं जा सकती ! ऐसे लोग अजर अमर हो जाते है ! 
हमें सदैव इस वीरांगना पर गर्व रहेगा ! 
🙏
1 
जैतपुर बुंदेलखण्ड की 
छोटी सी एक रियासत 
शासक थे राजा परीक्षित 
ब्रितानी सरकार से चिढते ! 
2 
ब्रितानी भी जैतपुर पर अपना 
कब्जा करना चाहते थे ! 
तना तनी में समय बीतता 
दोनों एक दूजे से लड़ते थे ! 
3 
आजादी का प्रेमी परीक्षित 
अंगेजों से चिढ़ता था 
उखाड़ फैंक दूँ भारत से 
मन उसका होता रहता था ! 
4 
बहुत चाहता था भारत से 
अंग्रेजों को दूर करूं 
पर कमजोर छोटी सी सेना 
सोच समझ कर काम करूं ! 
5 
इधर कम्पनी सरकार बड़ी 
जैतपुर पर अधिकार किया 
हार गये राजा परीक्षित 
पलायन का विचार किया ! 
6 
राजा के ही विश्वास पात्र ने
अंग्रेजों का साथ दिया 
युद्द जीत के बाद उसे ही 
जैतपुर का साम्राज्य मिला 
7 
इतना भारी आघात लगा 
राजा परीक्षित टूट गये 
अति अवसादित होने से 
प्राण ही तन से छूट गये ! 
8 
पर रानी दृढ़ प्रतिज्ञ खड़ी थी 
हार नहीं मैं मानूंगी 
ब्रीतनीयों  की दासता 
कभी नहीं स्वीकारुगी ! 
9 
धीरे धीरे रानी ने 
विद्रोह को चिंगारी दी 
जैतपुर पुनः पाने की 
नई कवायद शुरू कर दी ! 
10 
मालवा .बानपुर और शाह्गढ 
रानी ने विद्रोह किया 
सन 1857 की क्रांति में 
विद्रोह का झंडा गाड  दिया ! 
11 
स्थानिय ठाकुर बने सहयोगी 
रानी का सहयोग किया 
तहसीलदार के समस्त कोष पर 
रानी ने कब्जा जमा लिया ! 
12 
हाय विडम्बना रही सदा ही 
विश्वासघात से सदा हारे 
रक्षक ही भक्षक बन जाये 
तो घर वाले क्या करें बेचारे ! 
13 
यदि जयचंद विश्वासघात ना करता 
प्रथ्वीराज का साथ सदा देता 
मोहम्मद गौरी का भारत में 
शासन कभी  नहीं होता ! 
14 
प्लासी युद्ध में मीर जाफर 
ब्रितानिया से नहीं मिलता 
भारत का इतिहास आज 
ना जाने  क्या का क्या होता ! 
15 
इसी तरह रानी के खिलाफ 
चटखेरी का राजा खड़ा हुआ 
मित्र कभी था रानी का 
आज नीयत में खोट भरा ! 
16 
जो रानी का मित्र बना फिरता 
आज खिलाफ हो  लड़ता है 
मदद कर रहा अंग्रेजों की 
रानी से दगा करता है ! 
17 
ऐसे पल मैं भी रानी 
युद्ध बराबर करती थी 
मन खिन्न हो रहा था भारी 
मित्रों से छली जा रही थी ! 
18 
फिर अंत मैं हार गई 
युद्ध से प्रस्थान किया 
टिहरी क्षेत्र चली आई 
वही उनका देहांत हुआ ! 
19 
मरते मर गई रानी 
भीषण दुख संहार सहा 
दासत्व स्वीकार नहीं था उसको 
मरते दम तक ना स्वीकार किया  ! 
20 
इस तरह जैतपुर की रानी 
सम्मानित  परलोक गई 
अंग्रेजों ने मुंह की खाई 
उसे पकड़ ना पाये कभी ! 
नमन 🙏
डा .इन्दिरा .✍
 
 
नमन आप की लेखनी को
ReplyDeleteएक सार्थक रचना और अप्रतिम भाव। लाजवाब !!!
बेहतरीन रचना इंदिरा जी 👌👌
ReplyDeleteबहुत ओजमय लेखन, जैतपुर की रानी की वीर गाथा बहुत सुंदर शब्दों मे वर्णन की आपने ,।
ReplyDeleteविडम्बना है इस देश की कि जीतने वीर और वीरांगनाओं की गौरव जन्म भुमि रही उतने ही गद्दारों ने भी यहां र युग मे जन्म लिया ।
अप्रतिम लेखन
सच्ची बात तो ये है ऐसी वीर कलमकारा के पाँव कौन छूना नही चाहेगा ? आप मेरी बेटी हो जो गूगल के महासागर मे मिलि हो ,जीवन मे अबकी बार दिल्ली आने का शोभाग्य मिला तो आपके फोन नम्बर और पता जरूर लूंगा ।। और तो कुछ नही हमारे ब्यावर की पूरी दुनिया मे मशहूर तिलपट्टी (तिलपापड़) जरूर लेकर आउंगा ।।
ReplyDeleteनमन आपकी लेखनी एवं आकर्षक शब्दों को
ReplyDeleteजैत पुर की उस वीर बहूटी और उसके वृतांत को लिखने वाली सरस्वती सुता साहित्य रत्न 'इंदिरा' को सादर नमन!!!
ReplyDeleteआज ये सब पढ़कर अच्छा लगा इंदिरा जी। आपकी लेखनी को नमन है। आपका काम वंदनीय है🙏🙏
ReplyDeleteपहली बार राजस्थान कि इस झासी कि कहानी पढ़ने को मिली ,बहुत ही रोचक
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