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विश्वास

विश्वास ....

आज अंधेरी रात तो क्या है
कल की भोर तो मेरी है
रात अश्क से चाहे पुरनम
भोर की लाली मेरी है !

नहीं डरा सकता है कोई
मुझे अंधेरे कौनो से
चाहे जितनी घात लगाले
भोर प्रभाती मेरी है !

क्या छीन पायेगा  कोई
मुझसे मेरे अहसासों को
चाहे जितनी काली रात हो
भोर उजाली मेरी है !

डा इन्दिरा ✍

Comments

  1. सुंदर आशा का दामन और दृढ़ विश्वास का संदेश देती सुंदर रचना ।

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  2. सकारात्मक सोच लिये आप की यह रचना जितनी खूबसूरत है उतनी ही जानदार ....मन पर अपना प्रभाव छोडती ...बहुत खूब सखी

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    Replies
    1. मन को प्रफुल्लित करती प्रतिक्रिया सखी आभार

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  3. वाह!! इन्द्रा जी बहुत खूब ।

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    Replies
    1. शुक्रिया शुभा जी वाह मन को छू गया

      Delete
  4. आशा का बीज बोती सकारात्मक संदेश देती लाजवाब सुंदर रचना
    वाह दीदी जी

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