हाहाकार ..
कर बद्ध प्रर्थना सुनो मात तुम 
कड़वा सच सुनलो तुम तात 
बहना की विनती है भय्या 
नहीं करो मेरा बलिदान ! 
तेरी कोख का में भी मोटी 
और अंखियों की ज्योति 
स्नेहिल धागा तेरे प्रेम का 
क्यूँ कहलाती फिर अभिशाप ! 
में भी दीपक तेरे वंश का 
करो ना खण्डित मेरा गात
पूर्ण सही स्नेह  मिले तो 
में बन जाऊं नया प्रभात ! 
जरा ध्यान से निरखो मुझको 
मत सोचो बस पाना त्राण 
नहीं बेजान मूक सी वस्तु 
मुझमें भी संचरित है प्राण ! 
हवन सामग्री बनूं यज्ञ की 
"इन्दिरा"करती है प्रतिकार 
करो इलाज कोढ़ी समाज का 
वर्ना होगा हाहाकार ! 
डा इन्दिरा .✍
स्व रचित 
 
काश !अजन्मी बिटिया का ये क्रन्दन बेखबर समाज और माता - पिता के बहरे कानों तक पहुंचे और उनका निष्ठुर ह्रदय पिघलें - तभी अभिशाप समझी जाने वाली बिटिया अपना स्नेह उजास उनके आंगन में बिखरा
ReplyDeleteपायेगी |अत्यंत | मर्मस्पर्शी उद्बोधन अजन्मी कन्या का | !!!!!!!! जो अजन्मी बिटिया के हत्यारें हैं उन्हें कन्या पूजन का अधिकार हरगिज नहीं | सादर सस्नेह प्रिय इंदिरा बहन |