पहचान जरा ...
संघर्ष मान कर चुप रह जाना
ये तो तेरा काम नहीं
बार बार प्रहार करो
जब तक हो ना जाये सही !
तू नारी है तू पूर्णा है
अपनी शक्ति को पहचान
कोई बांध सका क्या तुझको
तू प्रचण्ड सी ज्वाल समान !
तू निर्बल है तू दासी है
केवल भ्रम ही पाल लिया
तू एक अकेली अक्षुण सेना
जिसको नारायण ने मान दिया !
शक्ति बिन खुद प्रभु अधूरे
स्वयं को निर्बल कहते है
बिन नारी काज नहीं पूरण
वेद पुराण सब लिखते है !
राधेश्याम या सीता राम हो
गौरी शंकर या रीद्दी सिद्दी गणेश
बिन शक्ति जब नाम अधूरा
लवलेश मात्र ना मिटे क्लेश !
डा इन्दिरा ✍
वाह नारी शक्ति चेतना पर बहुत दमदार रचना मीता ।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 25 नवम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteतू एक अकेली अक्षुण सेना
ReplyDeleteजिसको नारायण ने मान दिया ! ....
नारी को गौरवान्वित करती और चेतना को जगाती सुन्दर रचना ।
बिन नारी काज नहीं पूरण
ReplyDeleteवेद पुराण सब लिखते है !
राधेश्याम या सीता राम हो
गौरी शंकर या रीद्दी सिद्दी गणेश
बिन शक्ति जब नाम अधूरा
लवलेश मात्र ना मिटे क्लेश !
बहुत ही बेहतरीन रचना इंदिरा जी
वाह!!इंदिरा जी ,बहुत खूब!!
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