तसव्वुर ...
तसव्वुर हो तभी नजरे इनायत
होगी जरूरी तो नही
सर झुकाया और कर ली
दीदारे सनम ये भी सही !
तसव्वुर उनका याद कर
आँख कुछ पुरनम हुई
उनके खयालो मेंं हम हैं या
हमारे अलावा कोई नही ॥
तसव्वुरे चाहते शौक हैं
ऐसा हर एक शस्क
साथ कोई और हैं
तसव्वुर मेंं कोई हैं नही ! !
मजार पर आये थे उनकी
खाक लेने वास्ते
वो नही तो उनकी यारो
खाके तसव्वुर ही सही !
डॉ इन्दिरा गुप्ता
बहुत सुंदर...
ReplyDeleteशुक्रिया 🙏
Deletethanx
ReplyDeleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 14 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1308 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत ही बेहतरीन
ReplyDeleteवाह बहुत खूब मीता गजब बेहतरीन।
ReplyDeleteखाख ए तस्सवुर को माथे पर यूं रखली
जैसे जलता चराग कोई हो मजार पर।
वाहह.. बेहद सुंदर सराहनीय सृजन..👌
ReplyDeleteतसव्वुर हो नजरे इनायत...
ReplyDeleteबेहद लाजवाब
वाह!!!
वाह !!बेहतरीन सृजन
ReplyDeleteसादर
सभी का अतुल्य आभार
ReplyDeleteविशेष आभार हलचल मेंं चयन करने के लिऐ