Drindiragupta. Blogspot. In तन्हा दूर कोई अपना सा याद आ गया आज फागुन की रुत फाग जगाये सोये भाव जगा गया आज । हुआ सिंदूरी क्षितिज का अंचरा नीले नभ मैं फैल गया यादो की ठप्पे दार चुनरिया पवन उड़ा कर खोल गया । महक रही केसर की क्यारी तेरी यादों से भीनी चटख चटख कर कालिया महकी याद आ गई सावन की । झिरमिर सा यादो का मेला इत उत झूले सा डोल रहा साँझ ढले कोई यायावर मन राहो से चला गया । चुभने लगा रंग सिंदूरी रतनारे सब रंग चुभे नयन मूंद चुप होजा मनवा अब भोर कहां जो शितिज रंगे। डा इन्दिरा✍️
Drindiragupta.blogspot.in प्रश्न यक्ष प्रश्न सी लिखी हुई है हर रेख चेहरे पर घूम घेर कर पूछ रही है क्या गलती थी जीवन भर । निश्चल नेह या निस्वार्थ कर्म क्या यही खोट था मेरा जिसके चलते जीवन से पहले पड़ाव आ गया मेरा । अनुत्तरित से अनेक प्रश्न आंखों में भरे हुए है हाय व्यथा कुछ कह न पाए कितने लाचार हुए है । आंख धुँधलका मन मे विवशता क्या यही कर्म प्रतिफल है घिरा रहा कलरव से बचपन आज सुना आंगन है । दे सके कोई इन प्रश्नों का उत्तर तो जीवन पाए विश्राम सतत चला अब शाम हो गई प्रश्न वही खड़ा अविराम । डा इन्दिरा✍️
तिल तिल तिल तिल कर ही बिखर जात हूँ तिल भर कछु ना सुहाये तिल भर भी कल नाहीं पडत हें तिल तिल ये समय बितो जाये ! तिल भर भी यदि तुम मिल जाते तिल भर चैन मै पाती तिल भर ही मन मेरा ह...
वीरांगना किरण बाला ✊ जहाँ राजपूत पुरुष अपनी वीरता के लिये प्रसिद्द है वही राजपूती महिलाये भी अपनी आन , बान , और सतीत्व की रक्षा के लिये प्रसिद्द है ! उनके अदम्य साहस को प्र...
इन्द्रधनुषी नार ... नव रस नव रंग सरीखी है नव रँगी नार सात रंग के इन्द्र धनुष सा उसके जीवन का सार ! सदा सुखद हो रंगोत्सव ना सदा दुखद सी बात धीमी आँच सा सुलगें नारी का मन संसार ! स्मि...