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Showing posts from September, 2018

चंद अल्फाज

चंद अल्फाज ... ☘ हर बात पर गहरी वो नजर रखते है वफा हो या बेवफाई कायदे से निभा लेते है ! ☘ ना उम्र का जिक्र हो ना अल्फाजों का बंधन यहां इश्के कशिश जारी जो देखें केवल मन ! ☘ चंद  अशआर ना...

पापी पेट

पापी पेट ... भरी दोपहरी भरा हौसाला तपन बाहर भीतर सब एक अगन भूख की मन झुलसाती सूरज की आग सेंकती देह ! छोटी उम्र हौसले भारी धूप अलाव सी जला करें कलम उठाने वाले कर जब बोझ ग्रहस्थी आ...

मिलन

मिलन ... बालपने की सखी सहेली वृद्ध अवस्था जाय मिली भूल गई पीड़ा जीवन की एक दूजे से गले मिली ! वही ठहाका वही खुशी थी बात बात पर था हँसना बचपन की सुनी गलियों में दोनों का पुनि जा बसन...

अबला / उर्वरा

अबला / उर्वरा हुंकार उठी सिंहनी अब दुर्गा अवतारी है कितने भी भैरव आ जाये एक अकेली भारी है ! रणचण्डी जब जाग्रत होती खण्डन हो या मण्डन हो खर खप्पर भरे रक्त से अरि मुन्डो का छेदन ...

धुंधलाये अहसास

धुंधलाये अहसास ... तू चल में आया जैसा नाता बड़ा विचित्र नजर आता साथ साथ रहते है फिर भी यायावर सा सब लगता ! यही हो रहा सब के संग में कोई किसी के साथ नहीं साथ साथ रहने का भ्रम साथी है ज...

उपालम्भ

उपालम्भ .... भौंचक रह गये ज्ञानी उधो बुद्धि लगी चकराने भोली ग्वालिन अनपढ़ जाहिल कैसो ज्ञान बखाने ! तभी तमक कर बोली ग्वालिन का आये हो लेने मूल धन तो अक्रूर जी ले गये तुम आये क्या ...

तृष्णा

तृष्णा .. क्षणिकाएं ...              ☝ तृष्णा एक मीठा सा दर्द है रह रह कसक जगाये चुभे शूल सम हिय में भारी ना चुभे तड़प दे जाय !                 ☝ तिस तिस तृष्णा ना मिटे तिल तिल अगन  लग...

चयन

चयन खोल रहा जो दर स्कूल का या दर जेल का बन्द करे कौन प्रिय कौन श्रेष्ठ है आओ उसका चयन करें ! चुनाव श्रेष्ठ का सरल नहीं है प्रिय भी है अनमोल सही प्रेम प्रलोभन कह ठुकराना संकीर्...

इबादत

इबादत .. देग चढ़ाई संत ने कांकर पाथर डाल और मसाला डाल कर दीनी आग लगाय दीनी आग लगाय लोग सब देखन लागे आज फकीर के मन में भाव ये कैसे जागे ! पकी देग आग से उतरी लोग अचम्भौ खाय बिरयानी से...

उठो

उठो आर्य ...✊✊ उठो आर्य अब बाना पहनो वीर कर्ण और अर्जुन सा दो क्या चार हाथ धारण कर दमन करो अरि मुन्डो का ! अन्दर बाहर दावानल है जन मानस हो रहा विकल रक्त नदी बहने के खातिर आतुर है अ...

नई फसल 🌾

नई फसल  ...🌾 हथेली में  सूर्य उगाये नई फसल की बाली हूँ नहीं समझना मुझको कन्या में दुर्गा अवतारी हूँ ! शीतलता मुझमें सरिता की पावनता गंगा जैसी नहीं समझना केवल पानी बिगडू तो सु...

शिक्षक

शिक्षक ...✒ हिय धरा पर ज्ञान की जो बहाये गंग गुरु पारिजात पुष्प सम ईश्वर सा सम्बन्ध ! तिमिर काल में ज्योति सम भरे उजास उमंग जीवन में मुक्ता मणि जैसा सदा रहे वो संग ! निस्वार्थ भ...