वीर बहुटी वीरांगना सूजा कँवर राज पुरोहित मारवाड़ की लक्ष्मी बाई ..✊ सन 1857 ----1902 काल जीवन पथ था सूजा कँवर राज पुरोहित का ! मारवाड़ की ऐसी वीरांगना जिसने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम मैं मर्दाने भेष में हाथ मैं तलवार और बन्दूक लिये लाड्नू (राजस्थान ) में अंग्रेजों से लोहा लिया और वहाँ से मार भगाया ! 1857 से शुरू होकर 1947 तक चला आजादी का सतत आंदोलन ! तब पूर्ण हुआ जब 15 अगस्त 1947 को देश परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त हुआ ! इस लम्बे आंदोलन में राजस्थान के योगदान पर इतिहास के पन्नों मैं कोई विशेष चर्चा नहीं है ! आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी राजस्थानी वीरांगनाओं का नाम और योगदान कहीं रेखांकित नहीं किया गया है ! 1857 की क्रांतिकी एक महान हस्ती रानी लक्ष्मी बाई को पूरा विश्व जानता है ! पर सम कालीन एक साधारण से परिवार की महिला ने वही शौर्य दिखलाया और उसे कोई नहीं जानता ! लाड्नू में वो मारवाड़ की लक्ष्मी बाई के नाम से जानी और पहचानी जाती है ! सूजा कँवर का जन्म 1837 के आस पास तत्कालीन मारवाड़ राज्य के लाडनू ठिकाने नागौर जिले ( वर्तमान मैं लाडनू शहर )में एक उच्च आद
बहुत सुन्दर रचना सखी
ReplyDeleteमाता -पिता हमारे प्रथम शिक्षक होते हैं।
शिक्षक दिन की बहुत सारी शुभकामनाएं
बहुत सुंदर रचना 👌 इंदिरा जी शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबेहद सुंदर गुरु की गुरुता की महत्ता का गुणगान 👌👌
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर गुरु को उच्चतम स्थान पर स्थापित करते अनुफम भाव लिये सुंदर रचना ।
ReplyDeleteसभी की सराहना का आभार ...🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteतिमिर काल में ज्योति सम
ReplyDeleteभरे उजास उमंग
जीवन में मुक्ता मणि जैसा
सदा रहे वो संग !
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गुरु .पितु मात इन तीनों को
ईश्वर अपना मान !
वाकई ख़ूबसूरत रचना दीदी