वीर तनय अभिनंदन .... सब मिल कर गुहार लगाओ केसरी नन्दन के दरबार मेंं अभिनंदन को प्रभु छुड़ाओ सकुशल लौटे घर बार मेंं ! बाल ना बांका हो उसका ना कोई उसको पीड़ा हो दुश्मन के हत्थे चढ़...
तमन्ना है तमन्ना रण बकुरौ का व्यर्थ ना बलिदान जाये जीवन सुरक्षित हो सदा नाहक ना कोई प्राण जाये ! सुन तमन्ना ईश मेरे हर मांग का सिन्दूर चमके भरी रहे हर गोद माँ की हाथ की चूड़ी ...
शरद ऋतु .... शीत काल की हुई विदाई शरद ऋतु इठलाती आई पवन बहे चंचल अति भारी फुनगी-फुनगी ,डारी-डारी ! रीते मेघ खेलते फिरते ना -ना प्रकार , रूप वो धरते भूल गई हो शीत चुनरिया ओढ़ उसे मन मा...
धरती पुत्र.... धरती पुत्र कहते है मुझको पर मेरी कोई धरा नही माता का अहसास तो है पर माता मेरे पास नही ॥ मेंं अति निर्धन गरीब पुत्र हूँ नही पास है धन मेरे पुत्र अमीर जो रहे हवेली ...
करार .... दिल कुछ बेकरार लगता हैं करारे दिल का तलब गार लगता हैं ! टूटें ही नही आज तलक , रोए भी बहुत हैं मेरा इश्क ही मुझे , गुनहगार लगता हैं ! तेरी इक तलाश मेँ , खुदी को खो दिया , खुदी की तल...
समाज / नारी पंख बांध कर तोलते तुम मेरे अरमान दम हैं तो खोलो ये बन्धन भरने दो परवान ! भरने दो परवान स्वयं को सभ्य बनाओ नारी हूँ सृजन शील हूँ ना मुझको चंडिका बनाओ ! पंख नोचते घायल ...
भ्रष्टाचार .... भ्रष्टाचार , भ्रष्ट आचरण हम ही भय्या फैलाते दूजा कोई और करे तो जम कर उसको गरियाते ! नेता हो गये भ्रष्ट कहे देश की नय्या डूबी , क्यो बनाया भ्रष्ट को नेता वोट देते व...
ललकार ... दिन चढ़ता हैं नई भोर हैं तीव्र चपल कुछ नया शोर हैं उषा की लाली तप्त हैं पवन चल रहा जरा सख्त हैं ! चारो ओर फैली हैं कटुता व्याप्त हो रही कठिन अवस्था दिग्गज दिग दिग डोल रह...
पलाश .... लो पलाश सा लाल हो गया माँ का जाया पूत शत विक्षत होकर घर लौटा माँ का पलाश सा पुत! सुरभित पवन कर गया वो पलाश का फूल टूटा बिखरा लाल कर गया इस धरती की धूल ! नये नवोडा के माथे का ...
अब अपनी बारी ... नमन तुम्हे ओ वीर सपूतों चरण नमन उस जननी को जन्मा पुत्र सिह जियाला धन्य कर गया धरती को ! माँ , बहन , बेटी और पत्नी देश हिताय सब तज डाला दूध मुंहे का मुख ना देखा सब तज क...
अपील / आव्हान शब्द मौन लेखनी गुमसुम मसि असहाय ना लिख पाये कैसा कहर टूटा हैं सब पर कवि हृदय दरक कर रह जाये ! नही प्रश्न केवल मरने का ना रहा कोई सवाल निरुत्तर से खड़े रह गये विस्म...
ये इश्क इश्क ..... इश्क दिवानी राधिका या मीरा दबंग चढ़ चौबारे बोलता जब बजे इश्क की चंग -चंग ये इश्क-इश्क , ये इश्क- इश्क .... जब बजे इश्क की चंग फिरे दीवाना मारा इकला मगन फिरे खुद मेंं द...
मधुशाला ... मधुशाला जो मधु छलकाये सूखे हिय रस धार बहे सूने मन पायल सी छनके छलक छलक मधु जाम बहे ! या विरहन का प्रेम पियासा अश्क भरा मय का प्याला पीकर मन मतवाला होता भूले विरह तप...
तसव्वुर ... तसव्वुर हो तभी नजरे इनायत होगी जरूरी तो नही सर झुकाया और कर ली दीदारे सनम ये भी सही ! तसव्वुर उनका याद कर आँख कुछ पुरनम हुई उनके खयालो मेंं हम हैं या हमारे अलावा कोई ...
मुक्तक .... 🌾 हीरे से कट सकता हैं यारब पत्थरो का भी जिगर ये बिन तराशे लोग आखिर कब तलक बच पाऐगे ! 🌾 जिक्र उनका हो अल्फाज़ संवर जाते हैं हम खार ही लिखते हैं वो फूलो से महक जाते हैं ! 🌾 ...
विजय ...... विजय चहिए तो उठ दौड़ो झाड़ पुरानी राख राग भैरवी बुला रही दे ताल पर ताल ! अरि मुण्डो को काट बिछा दो दूर करो माँ का अवसाद ! विजय अमूल्य मुक्ता मणि जैसा इसे नही भाता प्रमाद ...