छठ पूजा ... दिनकर तुम साक्षी रहना मेरे व्रत तप अर्चन के परिजन प्रियजन सब सुख पाये मेरे इस जल अर्पण से ! नहीं जानती शब्द अलंकृत नहीं जानती व्रत पूजा सरल भाव स्वीकार करो हे सवितु मेरी पूजा ! रूखा सूखा जो भी बनाया सहर्ष भाव प्रभु अर्पण है टूटे फूटे से शब्दों से भक्ति भाव प्रभु वंदन है ! में हूँ अकिंचन माँ छठ पूजा पूजा विधि कछु ना जानू अश्रु जल कण सींच सींच कर पद पंकज आज पखारू ! मन तन की तू जानन हारी तुझको क्या कह में मांगू शुभ लाभ की दाता मय्या इतना ही बस में जानू ! घाट किनारे खड़ी निर्जला हाथ जोड़ नत मस्तक है पूजा मेरी स्वीकार करो माँ दास्य भाव हिय अर्पण है ! डा इन्दिरा गुप्ता स्व रचित