नारी और सौंदर्य ..
वातायन से झांक रहे हो
वो भी उघडी नारी को
रही संस्कृति कभी हमारी
ना देखो पर नारी को !
पूरब में पाश्चात्य सभ्यता
की करते हो हठ धर्मी
यहां नारी को पूजा जाता
माना जाता सहधर्मिणि !
एक तरफ चकले में बैठी
नारी से घर द्वार छीनते
और दूसरी तरफ हमीं सब
फैशन शो करवाया करते !
नारी नहीं कोई एक वस्तु
यूं सरे आम प्रदर्शित हो
ये है मात्रत्व हमारा गौरव
क्यों सरे आम तिरस्कृत हो !
रूढ़िवादी वर्ग कहे क्या
क्या कहे आधुनिक वर्ग
तन पर जितना कम कपड़ा
जब उतना ही माना सौंदर्य !
कैसी विडम्बना देखो नारी की
जिसको उसने जन्म दिया
कर रहा प्रदर्शन उसी जिस्म का
जिसमें उसका व्यक्तित्व ढला!
ना है ये सौंदर्य प्रतियोगिता
ना नारी का कोई सम्मान
सीधा और सरल सा देखो
नारी शोषण का नया विधान !
सुनो "इन्दिरा "करती आवाहन
स्वयं करो अपना सम्मान
नहीं रुढिता की ये बातें
पहचानौ अपना स्थान !
बहुत शानदार रचना
ReplyDeleteशब्द शब्द सत्य लिखा सखी
बस वाह ..वाह ....वाह
नमन
Deleteशानदार रचना 🙏
ReplyDeleteआभार
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