नव दिवस अभिषेक ... प्राची से निकला है दिनकर नव युग का अरमान लिये नव प्रभाती नव जाग्रति उज्वल से कुछ भाव लिये ! स्वर्णिम किरण भासित है जल थल स्वर्ग धरा सा भरम धरे मस्तक ऊंचा किये शिखर है शिशु से बादल खेल रहे ! नीला अम्बर स्वर्णिम दिनकर अंतस ओज के स्वर भर लें पावन सा हर मन मंतर है नव दिवस अभिषेक करै ! डा .इन्दिरा .✍ 30 .7 .2018