Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2018

नव दिवस अभिषेक

नव दिवस अभिषेक ... प्राची से निकला है दिनकर नव युग का अरमान लिये नव प्रभाती नव जाग्रति उज्वल से कुछ भाव लिये ! स्वर्णिम किरण भासित है जल थल स्वर्ग धरा सा भरम धरे मस्तक ऊंचा किये ...

क्षणिकायें

क्षणिकायें ...                 🌷  मन आज व्याकुल पंछी सा यादों संग उड़ता जाये ख्वाब नहीं तीखी पीड़ा है क्या क्या आज कुरेदा जाये !                   🌷 व्यथा कलम जब चले कागज पर सिर्...

चंद्र ग्रहण

चंद्र ग्रहण ... शीतल श्वेत चंद्र की काया हो गई लालम लाल धरा तपत चंद्र तक पहुंची द्वेश ज्वाल जा पहुंची हाय ! शांत भाव तज कर वो भी बरसों बाद गुस्साया आखिर कितना सबर करे संगत का अस...

आसमां तेरा है

आसमां तेरा है .... मनु , गर मन तू जिंदा है तो ये आसमां तेरा है गर मन तू एक परिंदा है तो ये आसमां तेरा है ! शब्द केवल शब्द नहीं है अर्थ भरा इनके भीतर पंख तोल और उड़ान ले देख आसमां तेरा है !...

वीर बहुटी ..वीरांगना जैतपुर की रानी

वीर बहुटी वीरांगना जैतपुर की रानी ..✊ बात उस समय की जब ईस्ट इंडिया कम्पनी विस्तार नीति का पालन कर रही थी ! लार्ड क्लाइव ने भारत में ब्रितानी राज्य की स्थापना की ! जिसे लार्ड कार्न्वलीस और लार्ड बेलेजली  ने भारत के कोने कोने में फैला दिया ! लार्ड डलहौजी ने हड़प की नीति अपनाते हुए झांसी .सतारा .आदी राज्यों को कम्पनी साम्राज्य में मिला लिया ! बाकी बचे राजाओं और सरदारों के अधिकार भी समाप्त कर दिये ! लार्ड एलन वर्ड ने जैतपुर जैसी छोटी सी रियासत के स्वतंत्र अस्तित्व को तहस नहस कर दिया ! जैतपुर बुंदेलखंड की एक छोटी सी रियासत थी ! कम्पनी सरकार ने 27 नवम्बर सन 1842 ई में जैतपुर पर अधिकार कर उसे ब्रितानी राज्य में मिला लिया ! उस समय जैतपुर में आजादी का प्रेमी राजा परीक्षित शासन करते थे ! उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य ब्रितानी सत्ता को भारत से जड़ से उखाड़ फैंकना था ! पर वह कम्पनी सरकार की तुलना में बहुत कमजोर और कम थे ! अतः कम्पनी सरकार ने बहुत आसानी से उन्हें पराजित कर जैतपुर पर अपना अधिकार कर लिया ! ऐसी स्तिथि में राजा परीक्षित को अपना जैतपुर छोड़ कर भागने को विवश होना पड़ा ! ब्रिटिश सरकार ...

किस्मत की बिसात

किस्मत की बिसात ... किस्मत की क्या बात कहे किस्मत की अजब बिसात किस्मत ने कर डाले भय्या कई अजब से काज ! लक्ष्मी नारायण भीख मांगते दुर्बल सिंह मुटियाये शांति बहन रहे अशांत सी दि...

किस्मत / तदबीर

किस्मत / तदबीर .. मन्नत का धागा बांधों या अरमानों की अर्जी देने वाला तभी देता जब होती उसकी मर्जी ! कोई इसको किस्मत कहता कोई कहता भाग्य मिलना होगा तभी मिलेगा चाहे जितना भाग ! तक...

गुरु कृपा

गुरु कृपा .... गुरु कृपा अति कीमती ना साधारण मान प्रलय और निर्माण में पलते एक समान ! गुरु कृपा एक सुखद यात्रा निर्माण से निर्वाण गुरु नाम तो लक्ष पूर्ण है इंसा में  भगवान ! गुरु ...

आहट

आमद .... कोई आमद नही होती ना साँकल ही बजती है शायद आ रहा कोई एक आहट सी  होती है ! कहीं नगमा बजे कोई कहीं कोई गीत लहराये नहीं गाता कहीं कोई  मगर सरगम सी बजती है ! सूना हुआ आंगन हुए जज्...

प्रकृति / मनुज

प्रकृति / मनुज ... प्रातः काल उषा की लाली शरमाई दुल्हन जैसी नीला अम्बर ओढ़ के निकली ज्यू पी घर प्रथम कदम रखती ! ऋषि कश्यप पुत्र संग ब्याही हुई सिन्दूरी मुस्काई शबनम के मोती बिखे...

ओम नमः शिवाय

ओम नमः शिवाय ... तिस तिस तृष्णा ना मिटे तड़प तड़प रही जाय जिस दिन तृष्णा मिट गई वा दिन नमः शिवाय ! वा दिन नमः शिवाय मन चिंता मुक्त हुई जाय जल सा शिव शंकर चढ़े जीवन अमि कलश हुई जाय ! डा ...

वीर बहुटी .वीरँग्नाये सिंध के राजा दाहिर की पत्नियां और पुत्रियाँ

वीर बहुटी सिंध के राजा दाहिर की पत्नियाँ और पुत्रियाँ सिंध के राजा दाहिर की बेटियों और पत्नियों ने भी देश रक्षा हित अपनी जान देदी पर शत्रु के सामने झुकना स्वीकार नहीं किया ...

यलगार करके देख

यलगार करके देख ... फिजाये क्यूँ बदली है हवा का रुख क्यों धीमा है कलम तलवार सी कर ले जरा  यलगार करके देख ! आज भी ताब  है तुझमें मोती सी आभ है तुझमें खम ठोंक आगे बढ़ अभी बारूद है तुझम...

झूला / सावन

झूला / सावन ... अब की बरस भेज भय्या को बाबुल सावन में लीजो बुलाय रे लोटोगी जब  मेरे बचपन की सखियाँ दीजो संदेसा भिजाय रे ..... अम्बुआ तले फिर से झूले पड़ेंगे रिमझिम पड़ेगी फुहारें बरस...

जीवन / दन्त कथा

जीवन / दन्त  कथा .... जीवन एक दन्त  कथा सा जाने कितने सोपान लिये एक अध्याय खत्म नहीं होता दूजा अध्याय खड़ा मिले ! दोधारी तलवार पे जैसे चलना है चलना पड़ता चाहे जितने घायल हो कदमों को...

पाती 💌

पाती ..💌 काम काज छोड़ कर उनको पाती लिखने बैठ गई पहले हंसी आ गई मुख पर बिसरे दिनन की याद भई ! कितना सोच रखा था मन में ये लिखना वो लिखना है लिखने बैठी भूल गई सब तुमको क्या क्या कहना  है ! यहाँ सभी कुशल है सुनो जी अपनी कुशलता की कहना चिट्ठी पत्री बहुत दिनों से क्यों ना भेजी कारण लिखना ! कब आओगे ये भी लिखना कब मिलने का दिन आये कब आँसू सुखेगे  मेरे कजरा आँखों में  टिक पाये ! साड़ी नहीं चाहिये मुझको ना गहने हीरे मोती सूती सी साड़ी भी मुझको रेशम जैसा सुख देती ! साज शृंगार सभी अधूरा तुम बिन्दियाँ से आ जाओ बालों मैं तेल फुलेल लगा कर कंघी नैक करा जाओ ! पायल बिछिया रूठी रूठी दोनों कम कम बजती है चूड़ी की खनक गूंगी है नैक जरा खनका जाओ ! भरी दुपहरिया हुई जिंदगी बिन आहट की रातें है मन घट रीता रीता सा है गगरी नैक भरा जाओ ! डा इन्दिरा  .✍

तुम बोलो

तुम बोलो ... में चुप हूँ आज तुम बोलो जर्रा जर्रा मन पट खोलो !  बहते बहते मेरे घट में सहज सरस रस सा घोलो ! प्यार ...मनुहार या वीतराग कुछ जो चाहो सो गाओ जीवन को पुनि राग बनाओ बूँद बूँद ...

सवाल / मलाल

सवाल / मलाल ... जिंदगी पर सवाल क्या कीजे हर तरफ है मलाल क्या कीजे ! जिसे समझते रहे वो गुरूर मेरा हमारा था मिजाज क्या कीजे ! वो गुरूर सर पे उठाये चले गये ऐसा नहीं अपना ख्याल क्या कीजे ! जरा सी वादे हवा से हिल जाते है हम है तूफाने वफा तो क्या कीजे ! दो कदम साथ चले चल के रुक गये ना रहा ताउम्र सफर क्या कीजे ! हर तरफ रेत रेत के से इरादे हमारी चट्टानें वफा  तो क्या कीजे ! इरादतन वो भी नहीं होंगे ऐसे हमको ये ही है गुमां तो क्या कीजे ! डा .इन्दिरा .✍

भोर तपस्वी

भोर तपस्वी .... शान्त भोर भी एक तपस्वनी जैसी पावन लगती है रात रात भर करें तपस्या प्रात: काल ही उठती है ! जल थल सबको वरद हस्त से फिर वरदान लुटाती है देय उजाला अग्नि पुंज को उज्वल दि...

वीर बहुटी वीरांगना नाना साहब की पुत्री मैना

वीर बहुटी नाना साहब पुत्री वीरांगना मैना ✊         सन 1857 के विद्रोही नेता धूधू पंत नाना साहब कानपुर विद्रोह मैं असफल होने के बाद भागने लगे ! पर जल्दी जल्दी में अपनी किशोर पुत्...