चंद्र ग्रहण ...
शीतल श्वेत चंद्र की काया
हो गई लालम लाल
धरा तपत चंद्र तक पहुंची
द्वेश ज्वाल जा पहुंची हाय !
शांत भाव तज कर वो भी
बरसों बाद गुस्साया
आखिर कितना सबर करे
संगत का असर रंग लाया !
सब्र बांध चंद्र का टूटा
कब तक संयम रखता
धरा उष्णता बढ़ती जाती
कब तक नहीं खदकता !
कलयुग का असर चंद्र पर
पूर्ण रूप से व्याप्त हुआ
बन ना जाये मानव जैसा
दे ना जाये वो धोखा !
डा .इन्दिरा .✍
30 .7 .2018
बहुत सुन्दर रचना ....अप्रतिम भाव।
ReplyDeleteस्नेहिल आभार
Deleteचांद ने अपनी छवि क्या बदली समझ आया कि धरती पर होने वाली हर गतिविधि का प्रभाव पुरे ब्रह्मांड पर पडता है गहरे भाव लिये रचना।
ReplyDeleteसही एकदम सही पकड़े हो मीता ...गति से पता चले मति का
Deleteमति छवि पे करे प्रभाव
तभी गुरुजन हमसे कहते
छवि खराब ना होने पाये !
नमन